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निर्मला सीतारमण को दिया था बड़ा सा बुके, 18 दिन बाद ही छीन ली गई नौकरी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को गुलदस्ता देकर स्वागत करते समय IRS(कस्टम) संघ के अध्यक्ष अनूप श्रीवास्तव ने सोचा भी नहीं होगा कि उन्हें 18 दिन बाद ही नौकरी से जबरन रिटायर कर दिया जाएगा.

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वित्त मंत्री को गुलदस्ता देते अनूप श्रीवास्तव (फोटो-@IRS_IN)
वित्त मंत्री को गुलदस्ता देते अनूप श्रीवास्तव (फोटो-@IRS_IN)

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जब मोदी सरकार 2.0 में वित्त मंत्री बनने के बाद निर्मला सीतारमण नॉर्थ ब्लॉक स्थित ऑफिस में चार्ज लेने पहुंची थीं तो भारतीय राजस्व सेवा (Customs & IT) संघ के अध्यक्ष डॉ. अनूप श्रीवास्तव सहयोगियों के साथ बड़ा गुलदस्ता लेकर स्वागत करने पहुंचे थे. IRS Association के ट्विटर हैंडल पर बाद में तीन जून को इसकी तस्वीर भी पोस्ट की गई. 

ट्विटर पर जारी तस्वीर का परिचय देते हुए लिखा गया," एसोसिएशन के अध्यक्ष और सदस्यों ने माननीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण का स्वागत किया और माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सक्षम नेतृत्व में एक मजबूत और विकसित भारत के निर्माण के लिए पूर्ण समर्थन दिया."

अब 15 दिन बाद आईआरएस संघ अध्यक्ष अनूप श्रीवास्तव को भी उन 15 अफसरों के साथ जबरन रिटायरमेंट का नोटिस मिला है. इन सभी अफसरों पर भ्रष्टाचार से घिरे होने के आरोपों में रूल 56 के तहत कार्रवाई की गई है. हालांकि अनूप श्रीवास्तव अपने खिलाफ हुई कार्रवाई को गलत ठहराते हैं. भ्रष्टाचार के आरोपों पर कहते हैं कि अदालत से उन्हें बरी किया जा चुका है.

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अनूप श्रीवास्तव पर क्या हैं आरोप

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और कस्टम में प्रिंसिपल कमिश्नर पद पर अब तक तैनात रहे अनूप श्रीवास्तव पर सर्विस के दौरान गंभीर आरोप लगते रहे. विभागीय सूत्रों के मुताबिक 1996 में सीबीआई ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में केस दर्ज किया था. जमीन की एनओसी के बदले में कथित तौर पर एक बिल्डिंग सोसाइटी को फायदा पहुंचाने के आरोप में सीबीआई उनके खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है.

2012 में भी टैक्स चोरी के एक मामले में एक निर्यातक से  घूस मांगने के मामले में भी सीबीआई ने उनके खिलाफ केस दर्ज किया था. तब छापेमारी भी हुई थी. इन मामलों को देखते हुए डॉ. अनूप श्रीवास्तव को समय से पहले रिटायर करने का वित्त मंत्रालय ने फैसला लिया. इस कार्रवाई को मोदी सरकार का बड़ा कदम बताया जा रहा है.

ये अफसर किए गए रिटायर

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और कस्टम (Central Board of Indirect Taxes and Customs) विभाग में कार्यरत 15 अफसरों को जबरन रिटायर करने की कार्रवाई 18 जून को हुई. इसमें मुख्य आयुक्त डॉ. अनूप श्रीवास्तव, कमिश्नर अतुल दीक्ष‍ित, कमिश्नर हर्षा, कमिश्नर संसार चंद, कमिश्नर विनय व्रिज सिंह, अडिशनल कमिश्नर वीरेंद्र अग्रवाल, अडिशनल कमिश्नर अशोक महिदा, डिप्टी कमिश्नर अमरेश जैन, ज्वाइंट कमिश्नर नलिन कुमार, असिस्टेंट कमिश्नर एसएस पाब्ना, असिस्टेंट कमिश्नर एसएस बिष्ट, असिस्टेंट कमिश्नर विनोद सांगा, अडिशनल कमिश्नर  राजू सेकर डिप्टी कमिश्नर अशोक कुमार असवाल और असिस्टेंट कमिश्नर मोहम्मद अल्ताफ शामिल हैं.

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इससे पूर्व भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्स विभाग के ही 12 वरिष्ठ अफसरों को जबरन रिटायर (Compulsory Retirement)दिया था. इस प्रकार देखें तो वित्त मंत्रालय अब तक डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स के नियम 56 के तहत कुल 27 अफसरों को जबरन रिटायर कर चुका है.

क्या है नियम 56?

दरअसल, रूल 56 का इस्तेमाल नकारा और भ्रष्ट अफसरों को सेवा से बाहर करने के लिए किया जाता है. इसमें कुछ शर्तें भी हैं. जबरन रिटायरमेंट के दायरे में वे अफसर आते हैं, जिनकी सर्विस के दौरान आचरण को लेकर गंभीर शिकायते रहतीं हैं. उनकी उम्र 50 से 55 साल की हो और 30 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. सरकार के जरिए ऐसे अधिकारियों को अनिर्वाय रिटायरमेंट दिया जा सकता है. ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद नॉन-फॉर्मिंग सरकारी सेवक को रिटायर करना होता है. सरकार के जरिए अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट दिए जाने का नियम काफी पहले से ही प्रभावी है.

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