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मंत्री बनते ही कंप्यूटर बाबा का बदला शिवराज को लेकर नजरिया

मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने मंगलवार को जिन 5 संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था उन्हीं में से एक कंप्यूटर बाबा हैं.  कंप्यूटर बाबा शिवराज सरकार के खिलाफ 'नर्मदा घोटाला रथ यात्रा' निकालने वाले थे, लेकिन सरकार के राज्यमंत्री बनाते ही उनके सुर बदल गए हैं.

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कंप्यूटर बाबा के बदले सुर
कंप्यूटर बाबा के बदले सुर

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मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने मंगलवार को जिन 5 संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था उन्हीं में से एक कंप्यूटर बाबा हैं.  कंप्यूटर बाबा शिवराज सरकार के खिलाफ 'नर्मदा घोटाला रथ यात्रा' निकालने वाले थे, लेकिन सरकार के राज्यमंत्री बनाते ही उनके सुर बदल गए हैं. 'आजतक' ने कंप्यूटर बाबा से खास बातचीत की.

सवाल- आपने यात्रा क्यों रोक दी?

कंप्यूटर बाबा- यात्रा निकाली ही नहीं, तो रोकने की बात कहां से आ गई.

सवाल- शिवराज की नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा पर आपने सवाल उठाया था, आपने ही शिवराज के 148 दिन की इस यात्रा पर घोटाले का आरोप लगाया था. अब क्या हो गया?

कंप्यूटर बाबा- हमने आरटीआई के जरिये केवल जानकारी ली थी. हमने सवाल जरूर उठाया था, लेकिन सूबे के मुखिया शिवराज ने संत समाज को बुलाया और उन्होंने अब हमारी मांग को मान ली है.  

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सवाल- एक वक्त की आरती में 59 हजार रुपये का खर्च, क्या आपने ये सवाल उठाया था?

कंप्यूटर बाबा- मध्य प्रदेश सरकार के सामने संत समाज से अपनी बातें रखी. संतों की समिति बनाने की मांग थी. सरकार ने उसे मान ली, हमारी मांग थी कि नर्मदा के तटों पर हम पेड़-पौधे लगाना चाहते हैं.  

सवाल- क्या आपने CM से नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा पर घपले के बारे में पूछा?

कंप्यूटर बाबा- नहीं, हमने ये नहीं पूछा, क्योंकि हम जैसे संतों का एक मात्र उद्देश्य है, नर्मदा को बचाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जाए.

सवाल- 31 मार्च को आप CM शिवराज आवास पर क्यों गए थे?

कंप्यूटर बाबा- शिवराज से मिलकर हमने नर्मदा बचाव को लेकर अपना रोडमैप दिया था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया. हमने कोई मंत्रीपद की मांग नहीं की थी. मंत्री बन जाने के बाद हम वही काम करेंगे जो सालों से नर्मदा को लेकर करते आए हैं.

सवाल- 6 करोड़ पेड़ कहां लगाए गए, ये सवाल आपने किया था, फिर इसको लेकर यात्रा करने वाले थे, लेकिन मंत्री बनाने के बाद आपका मन बदल गया?

कंप्यूटर बाबा- ये आरोप गलत है. हमने सरकार से जो सवाल किए उसके जवाब मिल गए. हम सरकार की जवाब से संतुष्ठ हैं. अभी हमें नर्मदा के लिए कई काम करना बाकी है.

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सवाल- क्या एक संन्यासी के रूप में राज्यमंत्री स्तर की सरकारी सुविधाएं स्वीकारना उचित है?

कंप्यूटर बाबा- अगर हमें पद और दूसरी सरकारी सुविधाएं ​नहीं मिलेंगी, तो हम नर्मदा नदी के संरक्षण का काम कैसे कर पायेंगे.

गौरतलब है कि शिवराज सरकार में मंत्री का दर्जा दिए जाने पर कंप्यूटर बाबा ने कहा कि अब भी वे नर्मदा संरक्षण के लिए काम करेंगे. हमें समिति के सदस्य के रूप में नर्मदा नदी को बचाने के लिए जिलाधिकारियों से बात करनी होगी और दूसरे जरूरी इंतजाम करने होंगे. इसके लिए सरकारी दर्जा जरूरी है. जिन योगेंद्र महंत को कम्प्यूटर बाबा के साथ विशेष समिति में शामिल कर राज्यमंत्री का दर्जा प्रदान किया गया है, वह 'नर्मदा घोटाला रथ यात्रा' के संयोजक थे. बहरहाल, राज्यमंत्री का दर्जा मिलने के बाद महंत ने भी कहा कि नर्मदा नदी को बचाने के लिये समिति बनाये जाने की मांग प्रदेश सरकार द्वारा पूरी किये जाने के कारण यह यात्रा निरस्त कर दी गई है.

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