इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2015 के दूसरे दिन केअंतिम सेशन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया. इस सेशन में महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़नवीस, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह, उत्तराखंड के सीएम हरीश रावत और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया शामिल हुए. आगे जानिए इस सेशन की खास बातें.
India Today Conclave15: दूसरे दिन की झलकियां...
सबसे महत्वपूर्ण पीएम या मुख्यमंत्री. भविष्य राज्यों से तय होगा या केंद्र से?
देवेंद्र फड़नवीस: मोदी जी ने कहा है कि देश को तरक्की करनी है तो
टीम इंडिया की तरह काम करना होगा. राज्यों के परफॉर्मेंस में देश का विकास निर्भर करता है. जब तक राज्य परफॉर्म नहीं करेंगे तब तक देश आगे नहीं बढ़ सकता.
हर कोई अपने आप को कप्तान मानता है. आप तैयार हैं पीएम की बात सुनने के लिए.
रमन सिंह: एक बात में स्पष्ट कर देना चाहता हूं. हम टीम इंडिया की तरह
ही काम करते हैं. मोदी जी के प्रयास नीति आयोग के आने के बाद राज्यों को बेहतर काम करने के लिए मौका मिला है.
India Today Conclave 2015: पहले दिन की झलकियां...
केंद्रीय फंड कम होने पर क्या कहना है. कप्तान कौन है पीएम या सीएम?
रमन सिंह: योजनाओं को क्रियान्वयन करने के लिए मौका मिला है. एक नई नीति की वजह से हम फंड को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करते हैं. रायपुर या छत्तीसगढ़ का
दादा बनने से काम नहीं होगा. दोनों के समन्वयन करने से ही काम होगा.
सिसोदिया: देश और राज्य के बाद पंचायत ही सबसे बड़े होने चाहिए संविधान के मुताबिक. लेकिन अब राज्य और केंद्र दादा बने हुए हैं. दिल्ली सरकार को तो कोई अधिकार है ही नहीं. हर कदम से पहले दिल्ली को केंद्र से मंजूरी लेनी पड़ती है. केंद्र सरकार के अंदर कई योजनाए आती हैं. जिसके चलते राज्य सही से फैसले नहीं ले पा रहे हैं.
हरीश रावत: जो कमजोर राज्य हैं, उन राज्यों के लिए विशेष प्रावधान रहे. कप्तान लोकतंत्र तय करता है. नीतियां दिल्ली में ही बनेगी, ये बात हम स्वीकार करते हैं. लेकिन समस्याओं का समाधान राज्यों की समस्याओं को समझने से ही होगा. मोदी जी ने हमसे किसी भी चीज को लेकर कोई सलाह नहीं की. मुझे पहले 2500 करोड़ रुपये मिलते थे. अब 1200 करोड़ रुपये मिले. मेरे पैसे काट लिए.
मनोहल लाल खट्टर: पिछले 8 महीनों में जो रूझान आए हैं, वो बेहतरीन है. लेकिन अब जो चीज जोड़ी गई है, वो है सहकारिता, सहयोग. अब नई रचना के अनुसार, सभी मुख्यमंत्रियों की कमेटी बनाई गई, जो अलग अलग मुद्दों पर विचार करेंगे.
Conclave15: भू अधिग्रहण बिल से तरक्की
राज्य क्या रुपयों को सही इस्तेमाल करते हैं, पैसा कहां जाता है. मुफ्त देने की परंपरा
से देश का भविष्य उज्जवल है?
सिसोदिया: दिल्ली को भी काफी कम पैसे मिले. हमें कुल 750 करोड़ रुपये देते हैं. दिल्ली की सरकार को काम करने नहीं देते
हैं.
देवेंद्र फडनवीस: हम किसानों को बिजली कम दामों में देते हैं. हम फ्री में कुछ नहीं देते हैं. शिवाजी का स्टैचू बनने पर बड़े पैमाने पर लोग वहां आएंगे. हमें टैक्स मिलेंगे.
हम उसको किसान के भले के लिए खर्च करेंगे. मुंबई में पर्यटन के लिए आकर्षित करने के लिए कुछ नहीं है. हम शिवाजी की मूर्ति के आस-पास टूरिस्ट पैलेस
बनाएंगे.
मुफ्त बिजली, पानी. पैसा कौन देगा?
सिसोदिया: जब हम दिल्ली के लोगों के बीच गए. भ्रष्टाचार की वजह से महंगाई है. भ्रष्टाचार रोक देंगे तभी तो लोगों को सुविधाएं मिलेंगी. पानी राजा को भी चाहिए, रंक
को भी चाहिए. लोगों का पैसे से ही काम किया जाता है.
फ्री चावल देने पर आपका क्या कहना है?
रमन: लोगों को अन्न मुहैया कराना ज्यादा जरूरी है. पुलिया, सड़क हम बाद में बना लेंगे. किसानों को कम कीमत में बिजली देने की कोशिश कर रहे हैं. भारत में सबसे
कम दाम में बिजली मुहैया कराने का काम करती है छत्तीसगढ़ सरकार. मेरी 12 साल की यात्रा में सबसे महत्वपूर्ण कोई स्कीम है तो वो पीडीएस की स्कीम.
पैसे का
मुख्यमंत्री सही से उपयोग कर रहे हैं?
सिसोदिया: भ्रष्टाचार तो है. काम करने में दिक्कत तो होती है.
भ्रष्टाचार राज्य से केंद्र की तरफ आ रहा है?
हरीश रावत: राज्यों को समस्याओं से ज्यादा जूझना पड़ता है. इस वजह से नीतियों के लिए राज्यों की भागीदारी बढ़ानी चाहिए. भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे इस वजह से आ
रहा है क्योंकि चीजों का केंद्रीयकरण बढ़ा है. आम आदमी के हाथ से चीजें दूर होती जा रही है.
क्या उत्तर भारत के राज्य पूरे भारत को पीछे की तरफ ले जा रहा
है?
खट्टर: कोई प्रदेश किसी की तरक्की में बाध्य नहीं बनता है. उत्तर भारत में अगर कोई कॉमन बात है तो वो ये कि उत्तर भारत के राज्यों में भ्रष्टाचार ज्यादा है. उत्तर
भारत में नेताओं की व्यक्तिगत राजनीति के चलते भ्रष्टाचार ज्यादा पनपा है. हमारी जिम्मेदारी तय करने की जरूरत है. हमने पांच महीने में भ्रष्टाचार की बीमारी से निपटने
के लिए सरकार ने काफी काम किया है.
फडनवीस: महाराष्ट्र के नेता भ्रष्ट नहीं हैं. कोई राज्य किसी को रोकता नहीं है. हर राज्य आगे बढ़ने की कोशिश करता है. दूसरे राज्यों से सीख लेने की जरूरत है. हर
राज्य को लगता है कि हमें चीजें आगे ले जानी चाहिए.
सिसोदिया: किसी राज्य की वजह से किसी को कोई नुकसान नहीं है. अगर एक शहर भी पीछे रह जाता है तो इस वजह से पलायन होता है. हमने दिल्ली से दूर के राज्यों को
इग्नोर कर दिया है, तभी तो लोग दिल्ली आते हैं.
राज्यों के विकास में अंतर की वजह क्या है?
रमन सिंह: हमने अपने राज्य के विकास के लिए काफी काम किया. अगर किसी राज्य में कोई कमी आती है. तो उसकी मदद करने का काम हम करते हैं.