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Conclave15: एआईबी रोस्ट, पार्ट 2, अनकट वर्जन

एआईबी रोस्ट से मशहूर हुए चार कॉमेडियन तन्मय भट्ट, गुरसिमर खंबा, रोहन जोशी और आशीष शाक्य आए इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में. ये एआईबी रोस्ट के बाद उनका पहला पब्लिक अपियरेंस था. इसे आप पार्ट 2 भी कह सकते हैं.

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टीम AIB के सदस्य
टीम AIB के सदस्य

एआईबी रोस्ट से मशहूर हुए चार कॉमेडियन तन्मय भट्ट, गुरसिमर खंबा, रोहन जोशी और आशीष शाक्य आए इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में. ये एआईबी रोस्ट के बाद उनका पहला पब्लिक अपियरेंस था. इसे आप पार्ट 2 भी कह सकते हैं. फिर से उन्होंने घनघोर जोक मारे. सबसे ज्यादा छलनी हुए शो के मॉडरेटर शिव अरूर. मगर मजाक के अलावा मजाक पर कुछ गंभीर बातें भी हुईं. पेश हैं तमाम मुद्दों पर उनके जज्बात. अनकट.

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रोस्ट पर पहली रिएक्शन
भारतीय माता-पिता इसी से खुश हो जाते हैं कि आपका अखबार में फोटो आ रहा है. चाहे क्राइम वाले पेज पर आए. चाहे कहीं और. जब कंट्रोवर्सी हुई तो उन्हें लगा, चलो कुछ किया तो सही. हम जहां भी गए, ज्यादातर लोगों ने इसे पसंद किया.

हमें नहीं पता था कि इस पर पूरे देश में विवाद और बहस शुरू हो जाएगी. ये तो कतई नहीं सोचा था कि पुलिस में एफआईआर हो जाएगी. हम पुलिस वालों से डरने वाले मिडल क्लास लड़के हैं. सड़क पर पुलिस को देखते ही बिना वजह डर से भर जाते हैं. पर कुछ चीजों के लिए हम बिल्कुल तैयार नहीं थे. किसी ने फोटो भेजी कि दिल्ली के पालिका बाजार में रोस्ट की सीडी बिक रही है.

टीवी डिबेट के दौरान हमने यही सोचा कि राखी सावंत हमें कैसे जज कर सकती है. टॉरेंट पर हमारा लिंक आया, तो लगा कुछ कर लिया. अब रिटायर हो सकते हैं.

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सबसे मजेदार वाकया क्या रहा रोस्ट के बाद
मेरे 87 साल के नानाजी ने इसे देखा. फिर परिवार में मासी, मामी सबको फोन किया. बुलाया. और कहा, तुम्हें पता है कि हमने अपने घर में अब तक होमोसेक्सुएलिटी पर बात नहीं की. तो हमें उस वक्त लगा ये सिर्फ एंटरटेनमेंट नहीं है. इन्फोटेनमेंट है. मिडल क्लास वेलफेयर प्रोग्राम है.

कितनी बदली जिंदगी रोस्ट के बाद
अभी हमने यहां विश्वनाथ आनंद के साथ सेल्फी ली. जब वह बोले, मुझे भी सेल्फी लेनी है, तो लगा, बदल गई बॉस. दिल किया कि उनको गले लगाकर कहूं. तुम लड़ो फिर कार्लसन के साथ. हम आते हैं.

रोस्ट को लेकर कोई अफसोस
नहीं और हां. शो करने को लेकर कोई अफसोस नहीं. पर और अच्छा कर सकते थे, ये हर शो की तरह इसके बाद भी लगा.

मजा आया दरअसल. एक चैनल ने हमें देश का कलंक कहा, तो मेरे कजिन ने उसका स्क्रीन शॉट लिया और चार टीशर्ट बनाकर हमें गिफ्ट कर दीं. हमें लगा कि अब तो फैमिली ट्रोलिंग भी शुरू हो गई.

क्या कभी इस मसले पर धमकी मिली
ओह, इसकी बात भी मत करिए. पर ये उतना भी बुरा नहीं, जितना आप दिखाते हैं. हम कहेंगे मिली तो आप टर्मिनेटर म्यूजिक के साथ प्रोग्राम चलाना शुरू करते हैं. एआईबी खतरे में. देश के कलंक को मारने आए लोग.

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क्या स्टैंडअप कॉमेडी एक इज्जतदार पेशा है
एक बंदा हमारे पास आया. बोला, क्या है ये. है क्या. हमने कहा स्टैंडअप है. बोला, अच्छा राजू श्रीवास्तव जैसा. सेम है. हमने कहा, हां सेम है, पर हम अंग्रेजी में करते हैं. तो बोला, अच्छा, ऐसा क्या, खाना पीना हो जाता है.

सच ये है कि देश में पांच साल पहले स्टैंडअप कॉमेडी नहीं था. हम बार में जाते थे. बोलते थे, 10 मिनट दीजिए. हमारी वजह से कोई नहीं भागेगा. पर हमें फैमिली का सपोर्ट था. शुरुआत में हमने पोडकास्ट किया. राजू श्रीवास्ताव का ढाई घंटे का इंटरव्यू किया. कमाल की जिंदगी है उनकी.

सिनेमा में भी कॉमेडी का ऐसा ही रहा है. जॉनी लीवर का पांच मिनट का सीन डालते थे. फिल्म लंबी हो तो काट देते थे. उन्होंने बातया हमें. फिल्म के सेट पर पहुंचते थे. ये बताया जाता था कि आज ये ड्रेस पहननी है. आज तू मद्रासी है. आज पंजाबी है. फिर वो किनारे बैठकर अपना डायलॉग लिखने लगते थे. पर अब चीजें बदल रही हैं. शायद 10 साल बाद एआईबी स्कूल हो, जहां लोग लिखना, हंसना सीख सकें. पर ये तभी होगा, जब हम सारे मुकदमों के लिए फीस चुका पाएंगे.

रोस्ट के बाद बिजनेस बेटर हुआ या खराब
तीन साल से हम घिस रहे थे कि कैसे और मशहूर हो जाएं. अब लगता है कि काश कुछ कम पॉपुलर होते. एयरपोर्ट पर लोग घेरते हैं. इशारा करते हैं.

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बिजनेस के लिए अच्छा है. पॉजिटिव, निगेटिव जो भी रहा. लोग स्टैंडअप कॉमेडी पर बात करने लगे. जानने लगे. उन्हें हमारे अस्तित्व के बारे में पता चला. कॉमेडी कम्युनिटी ने हमें काफी सपोर्ट किया.

रैपिड फायर राउंड
1) कॉमिक के लिए कौन बेटर, मोदी और मनमोहन
बस पीएम होना चाहिए. कोई भी हो, चलेगा. हमारे लिए तो बुफे है स्टूडिपड का. सब चलेगा. वो देते रहते हैं. और इसमें भी लैंडमार्क रहा 2010 का कॉमनवेल्थ. ब्रिज गिरा तो हम भी हंसकर गिर पड़े. ये सिर्फ इंडाय में ही नहीं. अमेरिका में देखिए। एक ईमेल के चक्कर में हिलेरी क्लिंटन के पीछे पड़े हैं

2) राहुल गांधी पर कुछ कहेंगे
अरे आप भी कभी कॉलेज में रहे थे. कभी बंक नहीं किया. राहुल गांधी जोक बहुत ज्यादा हो गए. अब ऑडियंस को हंसी नहीं आती. मनमोहन जैसा हाल हो गया. राहुल सिली हो गया. मनमोहन साइलेंट हो गया. कितनी बार भिंडी खिलाओगे.

3) तो अगला टॉपिक क्या
आम आदमी पार्टी. कॉलेज में 10 लोग. एक बोतल ओल्ड मॉन्क की मिल गई. और अब टूट पड़े हैं. और फिर एक कहेगा. चल अब पी ली. अब नेचुरोपैथी करके आता हूं.

वॉलंटियर्स पर दया आती है. पहले तो ऑनलाइन बीजेपी ट्रोल्स से लड़े. आधी आत्मा तो वहीं कुचल गई. छह महीने से टोपी नहीं हटा पाए बेचारे.

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4) विराट कोहली की आउटिंग
अरे वो गाली नहीं देता. ये उसकी जुबान है. वो ऐसे ही बोलता है. उसका साथ में ट्रांसलेटर रखना चाहिए. अभी रिपोर्टर केस का पता चला. दिल्ली वाले के तौर पर हमें फख्र हुआ. हमारे लड़के ऐसा ही करते हैं. बिना देखे ही बोल देते हैं. पूछो क्यों किया, तो विराट बोलेगा, क्या करें फील आ गई.

5) सेंसर बोर्ड
हमारी फिल्में साइलेंट होंगी. ब्लैक एंड व्हाइट होंगी. सेंसर बोर्ड आम आदमी पार्टी जैसा कर रहा है. एक ही संगठन के लोग, एक दूसरे से नफरत करते. वह भी इतना जल्दी. पर ये हर सेंसर बोर्ड के साथ होता है.

6) सेल्फी कल्चर
हम कैसे बोल सकते हैं. हमने अभी विश्वनाथन आनंद के साथ ली. खबर पढ़ते हैं. सेल्फी ले रहा था, छज्जे से गिरा. हम खुश हो जाते हैं. चल मूर्ख जीन अपने आप खत्म हो रहा है. ये दरअसल ऑटोग्राफ का रिप्लेसमेंट है.

अभी पता चला कि दिल्ली में एक सेल्फी स्कूल है. छह महीने की ट्रेनिंग देता है. और ये दिल्ली में ही हो सकता है. वह भी करोल बाग में. जहां हर कोई फोन ठीक करवाने जाता है. वहीं के वहीं कस्टमर बेस मिल गया.

7) कॉमेडी हंसाने के अलावा और क्या कर सकती है
कॉमेडी एजुकेट करने के लिए इस्तेमाल की जा सकती है. दिल्ली रेप के बाद हमने इट्स फॉल्ट वाला वीडियो बनाया. लोग जेंडर इशू पर सेंसिटिव हुए. आलिया वाले वीडियो में हमने पीरियॉडिक टेबल वाला गाना बनाया. अब वो स्कूल में है. लोग डिमांड कर रहे हैं. और बनाओ. कॉमेडी बात करने का, बहस करने का सबसे अच्छा तरीका है. आप किसी को हंसा दो. फिर वह हिंसक नहीं होगा. बात करेगा.

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8) दिल्ली के बारे में बेस्ट और वर्स्ट चीज
-यहां का गाना बेस्ट है. महिलाएं भी बहुत अच्छी हैं.

- मुंबई में हम सीजन मिस करते हैं. वहां सिर्फ पसीना सीजन होता है. यहां आप सर्दी में जैकेट पहन सकते हैं. तोंद छिप जाती है.

- दिल्ली, हमारे मुंबई के टैक्स से आपके यहां सुविधा दी जाती हैं. और आपके दिल्ली में चाहे नफरत करें, प्यार करें, एग्रेसिव और लाउड ही होते हैं.

- यहां बार के बाहर लिखा रहता है. हथियार लेकर आना मना है. किसको नहीं पता.

- एक शो के दौरान कुछ महिलाएं नाराज होकर चली गईं. शो के बाद एक मोटे आदमी के साथ आईं. वह हमें किनारे ले गया. बोला, बॉस सोचकर बोला करो. ये दिल्ली है. कोई भी गोली चला देता है. मैं भी चला देता था. अब नहीं करता ये सब.

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