इंडिया टुडे समूह के एडिटर इन चीफ अरुण पुरी ने कहा है कि देश के 12 पूर्वी राज्य शिक्षा और सभ्यता का प्रमुख केन्द्र होने के साथ-साथ देश की जीडीपी में 16 फीसदी का योगदान करते हैं. कोलकाता में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट में उन्होंने कहा कि समूचा पूर्वी भारत विकास की प्रयोगशाला बन चुका है.
पढ़िए, अरुण पुरी का संबोधन
देवियो और सज्जनो, इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट में आपका स्वागत है. मुझे यहां आकर काफी प्रसन्नता हो रही है और यहां आए आप सभी लोगों के प्रति आभारी हूं.
ऐसा कहा जाता है कि बंगाल आज जो सोचता है, भारत कल जाकर वह सोचता है. आज यही बात बंगाल के पड़ोसी 11 राज्यों के लिए भी कही जा सकती है. समूचा पूर्वी भारत देश के कई प्रतिस्पर्धी विचारों या ट्रेंड या विकास की प्रयोगशाला बन चुका है.
पूर्वी भारत रचनात्मक और विध्वंसक दोनों तरह की भावनाओं का एक लघु स्वरूप है, जो भारत को रोमांचक तो बनाता है, साथ में उलझन में भी डालता है. पूर्वी भारत में सक्रिय ताकतों के बारे में बात करने से पहले आपको मैं उस पृष्ठभूमि की जानकारी देना चाहूंगा, जिसमें ये ताकतें काम करेंगी.
ऐसी एक पृष्ठभूमि निश्चित रूप से अगले साल होने वाला आम चुनाव है. जल्दी ही पूरे भारत में सब कुछ चुनावी रंग में रंग जाएगा. पूर्वी भारत के 12 राज्यों में 142 लोकसभा सीटें हैं, जो कुल 543 सीटों का करीब एक-तिहाई है. गठबंधन की राजनीति के जमाने में यह काफी महत्वपूर्ण है.
पिछले आम चुनावों में उत्तरी और पश्चिमी राज्यों में बीजेपी अपनी सफलता के चरम पर रही है, इसलिए इस बार उसे इन इलाकों में उससे बहुत ज्यादा मिलने की उम्मीद नहीं की जा सकती. इसलिए उसका जोर अब पूर्वी भारत पर होगा.
साल 2014 में बीजेपी ने यहां की 142 सीटों में से 45 पर जीत हासिल की थी, जिनमें से 34 सीटें उसे बिहार और झारखंड में मिली थीं. पूर्वी भारत के पांच राज्यों झारखंड, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा में बीजेपी सरकार में है और बिहार, नगालैंड तथा मेघालय में भी वह सरकार की जूनियर पार्टनर है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा, सिक्किम, मेघालय और नगालैंड में क्षेत्रीय पार्टियों का शासन है, सिर्फ एक राज्य में कांग्रेस की सरकार है.
इस गणित से यह समझा जा सकता है कि पूर्वी भारत कितना विविध है और इसे जीतने में कितनी कठिनाई है. हर राज्य की अपनी अलग विशेषता है.
मेरे ख्याल से अगले आम चुनाव को देखते हुए तीन तरह के टकराव तो निश्चित हैं.
पहला- विकास बनाम विभाजन
वैसे तो यह पूरे भारत की बात है, लेकिन खासकर यह पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में ज्यादा प्रासंगिक है, जहां लोकसभा की 82 सीटें हैं. बिहार में जहां सवर्ण बनाम पिछड़ों की लड़ाई होगी, तो पश्चिम बंगाल में दुर्गा के भक्तों बनाम इस्लाम को मानने वालों के बीच, तो पूर्वोत्तर में बाहरी बनाम भीतरी की. इस कॉन्क्लेव में आपको दोनों पक्षों की बात सुनने को मिलेगी. प्रतिस्पर्धी धारणा रखने वाले राजनीतिज्ञों की, तो साथ में जीडीपी में योगदान करने वाले उद्योगपतियों की भी.
दूसरा- हाशिया बनाम मुख्यधारा
यह एक अच्छी खबर है. धीरे-धीरे, लेकिन लगातार पूर्वोत्तर के आठ राज्य हाशिए से मुख्यधारा की ओर बढ़ रहे हैं. केंद्र सरकार सड़क, रेलवे, एयरपोर्ट, टेलीफोन नेटवर्क, पावर प्रोजेक्ट और जलमार्गों के विकास आदि के द्वारा उनके एकीकरण को बढ़ाने की पहल कर रही है. पहली बार एक असमी फिल्म ऑस्कर में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है और असम मूल के एक एक्टर ने ऑस्कर में नार्वे की तरफ से आधिकारिक रूप से प्रवेश किया है. हमने तीन महीने पहले असमी लड़की हिमा दास को वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में कमाल करते देखा है. एक बंगाली लड़की ने हाल में संपन्न एशियन गेम्स में हेप्टाथलॉन का गोल्ड मेडल जीता है.
इस सबकी बड़ी वजह यह है कि इस क्षेत्र में नए ताजातरीन नेतृत्व उभरे हैं. अगले दो दिनों में आप पूर्वोत्तर के चार मुख्यमंत्रियों को सुनेंगे.
तीसरा- बाहरी और भीतरी का टकराव
आज जिस तरह से सवाल उठाए जा रहे हैं कि कौन भारतीय है, कौन नहीं, वैसा पहले कभी नहीं देखा गया. चाहे किसी की राष्ट्रीयता का सवाल हो, भौगोलिक मूल का या धर्म का, भारतीयता का विचार जोर मार रहा है. इसकी बड़ी वजह नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) भी है. इस तरह, ऐसा लगता है कि अवैध प्रवास 2019 के आम चुनाव में विभाजन का मसला बन सकता है, जिसका पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी, दोनों पर असर होगा.
तो अगले दो दिनों में गर्मागर्म चर्चा होने की उम्मीद है, क्योंकि राजनीतिक दिग्गज पहचान का सवाल उठाएंगे. लेकिन जीवन में सिर्फ राजनीति ही सबकुछ नहीं है. इस कॉन्क्लेव में आप संगीत से लेकर सिनेमा तक जीवन की कई बेहतर चीजों के बारे में कई प्रतिभावान कलाकारों की बात सुनेंगे.
कोलकाता में इस कॉन्क्लेव का आयोजन करना बिल्कुल उपयुक्त है, क्योंकि यह आज भी भारत की सभी अच्छी और महान चीजों का केंद्र है.
आप सभी का स्वागत है.