कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी के उस बयान पर पार्टी के भीतर ही भूचाल खड़ा होता दिख रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि संगठन के प्रमुख पदों के लिए अधिकतम उम्र तय होनी चाहिए.
दरअसल, सीनियर लीडर दिग्विजय सिंह ने तो जनार्दन द्विवेदी के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि अब कांग्रेस संगठन के ढांचे में अहम बदलाव का वक्त आ गया है. लेकिन वाणिज्य मंत्री रह चुके आनंद शर्मा ने कहा कि संगठन के पदों के लिए उम्र नहीं तय किया जा सकता है.
हालांकि कांग्रेस ने खुद को इस मसले से अलग करते हुए कहा कि जर्नादन द्विवेदी का बयान पार्टी का नजरिया नहीं है.
दिग्विजय सिंह ने कहा, 'अगर हम इतिहास की बात करें, तो कांग्रेस ने हमेशा ही युवाओं को अहम जिम्मेदारियां दी हैं. मुझे सबसे ज्यादा खुशी होगी, अगर संगठन में पीढ़ी के स्तर पर बदलाव होता है.'
दिग्विजय सिंह ने कहा, 'हम एक सियासी पार्टी के रूप में तब तक बेहतर नहीं कर सकते, जब तक युवाओं को ज्यादा अवसर नहीं दे देते. इसलिए संगठन में बदलाव का यह बेहतर अवसर है'
दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस के सुनहरे इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि जवाहरलाल नेहरू 38 साल में, जबकि मौलाना अबुल कलाम आजाद 36 साल में ही कांग्रेस अध्यक्ष बन गए थे. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी भी 40 साल की उम्र में ही AICC की अध्यक्ष बन गई थीं.
दूसरी ओर, आनंद शर्मा ने कहा कि सिर्फ उम्र को 'बेंचमार्क' नहीं बनाया जा सकता है. जब नेतृत्व की बात आती है, तो यह देखना अहम होता है कि उसमें सेवा, स्वीकार्यता और प्रतिबद्धता होना सबसे जरूरी है.