वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपनी अमेरिका यात्रा से पहले कहा है कि कांग्रेस पार्टी का ठोस स्वरूप में विस्तार होना तब तक संभव नहीं है, जब तक कि वह अपने ‘नेताओं का चुनाव योग्यता और क्षमता के आधार पर नहीं करती’ और अपनी मध्यमार्गी विचारधारा पर वापस नहीं लौटती.
नई दिल्ली से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में इंडिया कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए जेटली ने यह बयान दिया है. गौरतलब है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले महीने ही यहां के विद्यार्थियों को संबोधित किया था. राहुल ने तब एक सवाल के जवाब में कहा था कि वंशवाद की राजनीति भारत में एक ‘समस्या’ है लेकिन उनकी पार्टी में शामिल ज्यादातर लोगों की कोई वंशानुगत पृष्ठभूमि नहीं है. अपने भाषण में राहुल ने राजनीतिक ध्रुवीकरण की भी आलोचना की थी.
केंद्रीय वित्त मंत्री एक सप्ताह की यात्रा पर सोमवार को अमेरिका पहुंचेंगे. इस दौरान वह न्यूयॉर्क और बोस्टन में अमेरिकी कॉरपोरेट कंपनियों के साथ बैठक करेंगे और वाशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की वार्षिक बैठकों में भाग लेंगे.
जेटली ने अपने संबोधन के बाद लोगों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि दशकों तक देश का शासन चलाने वाली कांग्रेस पार्टी का भारत की वर्तमान जमीनी हकीकतों और आकांक्षाओं के साथ कोई तालमेल नहीं है.
अपने संबोधन में जेटली ने कहा कि ऐतिहासिक और परंपरागत रूप से कांग्रेस भारत में केंद्रीय स्थान में रही, वह दशकों तक इसी तरह रही और वह सत्ता की स्वाभाविक पार्टी थी.
जेटली ने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में, अगर मैं कहूं, यह प्रक्रिया 2004 में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के गठन के साथ शुरू हुई और जारी रही, और आज मैं पाता हूं कि ज्यादातर मुद्दों पर उनका अधिकांश रुख परंपरागत कांग्रेस पार्टी की मध्यमार्गी विचारधारा का नहीं है.’ कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व पर चुटकी लेते हुए जेटली ने कहा, ‘वैचारिक एजेंडा है, जिस पर धुर वाम का प्रभाव है और वह (कांग्रेस) सिर्फ उनकी चीयर लीडर बनकर रह गयी है.’