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CBI विवाद: पूर्व जस्टिस पटनायक के सहारे कांग्रेस की मांग- आलोक वर्मा की हो नियुक्ति

कांग्रेस (Congress) ने Central Bureau of Investigation (CBI)  के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एके पटनायक के बयान संबंधी खबरों को लेकर शनिवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि आलोक वर्मा को फिर से पद पर नियुक्त किया जाए और फिर उच्चस्तरीय समिति उनके खिलाफ आरोपों की जांच करे.

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CBI के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा (फाइल फोटो-PTI)
CBI के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा (फाइल फोटो-PTI)

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कांग्रेस (Congress) ने Central Bureau of Investigation (CBI) के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एके पटनायक के बयान संबंधी खबरों को लेकर शनिवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि आलोक वर्मा को फिर से पद पर नियुक्त किया जाए और फिर उच्चस्तरीय समिति उनके खिलाफ आरोपों की जांच करे. कांग्रेस ने यह भी सवाल किया कि आखिर क्या कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार भयभीत नजर आ रही है?

दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एके पटनायक ने माना कि कोर्ट में जमा की गई रिपोर्ट मीडिया के एक हिस्से तक पहुंच गई थी. सुप्रीम कोर्ट की ओर से आलोक वर्मा के खिलाफ मामलों की केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) जांच पर निगरानी के लिए जस्टिस एके पटनायक को नियुक्त किया गया था. 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में यह जांच रिपोर्ट सौंपी गई थी. सीवीसी जांच रिपोर्ट के अलावा जस्टिस एके पटनायक ने अलग से कोर्ट को 2 पन्ने का नोट भी सौंपा था, जिसमें साफ किया गया ता कि आलोक वर्मा को सारे दस्तावेज मुहैया कराए गए और निजी तौर पर सुनवाई भी हुई थी.

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इंडिया टुडे के पास मौजूद जानकारी के आधार पर जस्टिस एके पटनायक ने कहा था कि राकेश अस्थाना की शिकायत पर भी सीवीसी ने विचार किया था, लेकिन वह वहां मौजूद नहीं थे, हालांकि उनकी लिखित शिकायत थी. आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाए जाने के उच्चस्तरीय चयन समिति के फैसले के एक दिन बाद जस्टिस एके पटनायक ने कहा था कि रिपोर्ट पर उचित तरीके से विचार करना चाहिए था. उन्होंने पुष्टि की कि सीवीसी रिपोर्ट में उनके खिलाफ कुछ नहीं मिला. जस्टिस एके पटनायक का काम सीवीसी जांच पर निगरानी रखना था. उनका कहना है कि उच्च अधिकार प्राप्त समिति को जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए.

सीवीसी की रिपोर्ट झूठीः कांग्रेस

जस्टिस एके पटनायक के बयान के बाद कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'कुछ तो ऐसा है कि जिससे प्रधानमंत्री और सरकार भयभीत है. इसका रहस्योद्घाटन होना चाहिए. जस्टिस पटनायक का बयान अब सबके सामने है. इससे साबित होता है कि सीवीसी की रिपोर्ट झूठ है. इस झूठी रिपोर्ट के आधार पर आलोक वर्मा को हटा दिया गया. हमारी मांग है कि उच्चस्तरीय समिति की बैठक फिर बुलाई जाए. आलोक वर्मा को फिर नियुक्त किया जाए. आलोक वर्मा के 77 दिन फिर से वापस लौटाए जाएं. आलोक वर्मा पर लगे आरोपों की जांच उच्चस्तरीय समिति करे.'

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उन्होंने कहा, 'यह बहुत गंभीर और महत्वपूर्ण मामला है. सरकार डरी हुई है. इस सरकार के लोग बातों को घुमाने में माहिर हैं और वे इस मामले में भी लगे हुए हैं.' खबरों के मुताबिक जस्टिस पटनायक ने कहा कि आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के कोई साक्ष्य नहीं हैं.

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने गुरुवार को आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया था. इसके अगले दिन शुक्रवार को आलोक वर्मा ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) से इस्तीफा दे दिया. भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1979 बैच के अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम एवं केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर के अधिकारी आलोक वर्मा का तबादला महानिदेशक दमकल सेवा, नागरिक सुरक्षा एवं गृह रक्षा के पद पर कर दिया गया था, जहां जाने के बजाए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

सीबीआई निदेशक के पद पर आलोक वर्मा का दो वर्षों का कार्यकाल आगामी 31 जनवरी को पूरा होने वाला था, लेकिन इससे 21 दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एके सीकरी की समिति ने 2-1 के बहुमत से आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटाने का फैसला किया. पीएम मोदी और जस्टिस सीकरी आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाने के पक्ष में थे जबकि खड़गे ने इसका विरोध किया था.

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