बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका वापिस ले ली है. दिल्ली हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में आरोप था कि बीजेपी व कांग्रेस ने 2010 मे गलत तरीके से विदेशी चंदा लिया था जिस पर हाईकोर्ट ने सरकार और चुनाव आयोग को जांच करने का आदेश दिया था. इस फैसले के खिलाफ दोनों दलों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने FCRA Act में संशोधन कर नया कानून बनाकर इस तरह के चंदे की जानकारी सार्वजनिक करने की बाध्यता को 2010 से हटा दिया था जिससे दोनों दलों को इस मामले में कानूनी रूप से राहत मिल गयी. मतलब ये की जो नया कानून संसद में पारित हुआ वो पूर्वव्यापी प्रभाव यानी कानून बनने के समय से पहले की स्थिति पर भी लागू होगा. इसी कारण अब दोनों दलों ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका वापस ले ली.
कानून में संशोधन करने के फैसले से एक चीज तो साफ हो गयी है कि किसी भी और मुद्दे पर भले ही दोनों दलों के बीच विरोध हो लेकिन पार्टी को मिलने वाले चंदे के मुद्दे पर सभी दल एक ही प्लेटफार्म पर हैं, इस पर किसी तरह का कोई मतभेद नहीं है. इससे यही धारणा बनती है कि आम लोग ही अपनी आय घोषित करें, राजनीतिक दलों को ऐसा करने की कोई जरुरत नहीं है.