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कहीं लाशों पर राजनीति, और कहीं शहीदों पर देशभक्ति

पाकिस्तान ने हम पर हमला किया. देश ने अपने पांच जवान खोए. पूरा भारत गमगीन हो गया. पर सियासी हो-हल्‍ले में अपनों को खोने का गम भी कहीं खो सा गया.

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सुषमा स्वराज
सुषमा स्वराज

पाकिस्तान ने हम पर हमला किया. देश ने अपने पांच जवान खोए. पूरा भारत गमगीन हो गया. पर सियासी हो-हल्‍ले में अपनों को खोने का गम भी कहीं खो सा गया.

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कोई लाश पर राजनीति कर रहा है तो कोई शहीदों पर देशभक्ति. अब लोकसभा की नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज को ही ले लीजिए. उन्होंने कहा कि हम शहीदों के बारे में पूछ कर देशभक्ति कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस ने बीजेपी पर लाशों पर राजनीति करने का आरोप लगाया है साथ ही आंकड़ों के सहारे खुद को सुरक्षा के मसले पर एनडीए से बेहतर बताया है.

जब पुंछ में पाक हमले में शहीद हुए जवानों का शव बुधवार शाम को दिल्ली लाया गया. करीबन उसी वक्त सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया. उन्होंने कहा, 'कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा कि लाशों पर राजनीति हो रही है. लेकिन क्षमा करें ये लाशें नहीं शहीद हैं, और शहीदों के बारे में पूछना देशभक्ति है राजनीति नहीं.'

इससे पहले, कांग्रेस प्रवक्ता पीसी चाको ने बीजेपी पर एंटनी के बयान को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया. पीसी चाको ने कहा, यह पहली बार हो रहा है जब विपक्ष रक्षा मंत्री के बयान को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है. जबकि एंटनी अपने बयान के जरिए देश को पूरी घटना का ब्यौरा दे रहे थे.

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चाको ने कहा, 'एनडीए शासनकाल में कांग्रेस भी विपक्ष में थी. चाहे करगिल युद्ध हो या फिर संसद पर आतंकी हमले का मसला, हमने कभी भी इस मुद्दे पर राजनीति नहीं की.'

इससे पहले, बीजेपी के चौतरफा हमले के जवाब में कांग्रेस आंकड़ों के जरिए सुरक्षा के मामले में यूपीए को एनडीए से बेहतर बताने में जुट गई. पार्टी प्रवक्ता अजय माकन ने ट्वीट कर यूपीए के शासनकाल को एनडीए से बेहतर बताया.

अजय माकन द्वारा पेश किये गये आकंड़ें
1. बीजेपी जवानों की शहादत की बात करती है. अप्रैल 2001 में बांग्लादेश बॉर्डर पर 16 बीएसएफ जवानों की निर्मम हत्या पर वे क्यों खामोश रहे.
2. एनडीए(1998-2004) शासनकाल में ज्यादा आतंकी हमले हुए. जम्मू-कश्मीर में कुल 6,115 आम नागरिक मारे गए. औसतन 874 प्रति वर्ष. जबकि में यूपीए के शासन के दौरान पिछले साल सिर्फ 12 लोगों की मौत हुई. पिछले दो दशक में यह सबसे कम है.
3. एनडीए(1998-2004) के शासनकाल में जम्मू-कश्मीर में कुल 23,603 आतंकी घटनाएं हुईं. औसतन 3,372 प्रति वर्ष. जबकि यूपीए के अंदर पिछले साल 220 आतंकी घटनाएं हुईं. पिछले दो दशक में सबसे कम.

अजय माकन ने आखिर में ट्वीट किया, 'अगर इन आंकड़ों को देखा जाए तो यह साफ हो जाता है कि हमारी सरकार सुरक्षा को लेकर कितनी गंभीर है. बीजेपी की कमजोर नीतियों के कारण आगरा वार्ता नाकाम रही. करगिल में घुसपैठ बीजेपी की कमजोर नीतियों का नतीजा था.'
इन बयानबाजियों से इतना तो साफ है कि बेपरवाह, बेफिक्र और बेतुकी राजनीति अब भी जारी है. पर कौन शहीदों के लिए देशभक्ति कर रहा है और कौन लाश पर राजनीति, यह तय करना मुश्किल है.

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