सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की बोफोर्स दलाली मामले में दायर याचिका पर 11 मई को सुनवाई करने का फैसला किया है. इसमें राजनीतिक रूप से संवेदनशील 64 करोड़ रुपये के बोफोर्स दलाली मामले में आगे जांच की अनुमति के लिए निर्देश की मांग की गई है.
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) अनुज अग्रवाल के समक्ष याचिका के आने पर मामले से जुड़ी मूल रिकार्ड फाइल सुप्रीम कोर्ट में होने का उल्लेख करते हुए 11 मई को सुनवाई की तारीख तय की गई.
एसीएमएम ने कहा, 'फाइल अभी तक नहीं आई है. इस पर 11 मई को सुनवाई पर विचार होगा. कोर्ट ने दस्तावेज उपलब्ध नहीं रहने के कारण 17 फरवरी को मामले की सुनवाई शनिवार के लिए टाल दी थी.
बता दें कि बीजेपी नेता अजय अग्रवाल ने आरोपी के खिलाफ सभी आरोप खारिज करने के लिए दिल्ली सुप्रीम कोर्ट में 31 मई 2005 के फैसले को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी. जिस कारण से दस्तावेज वहां पर था.
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सीबीआई द्वारा 90 दिन की अनिवार्य अवधि के भीतर शीर्ष अदालत में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं दिए जाने के बाद वर्ष 2014 में रायबरेली से तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी.
दरअसल, भारत और स्वीडन के हथियार निर्माता ए बी बोफोर्स के बीच 400 होवित्जर तोप देने के लिए 24 मार्च 1986 को 1437 करोड़ रुपये का सौदा हुआ था. स्वीडिश रेडियो ने 16 अप्रैल 1987 को दावा किया कि कंपनी ने भारत के शीर्ष राजनेताओं और रक्षाकर्मियों को रिश्वत दी थी.
क्या है बोफोर्स मामला
बोफोर्स मामला 64 करोड़ रुपए की दलाली से जुड़ा है, गौरतलब है कि बोफोर्स केस के आरोपियों को दिल्ली हाई कोर्ट ने मई 2005 में बरी कर दिया था. बोफोर्स केस 1987 में सामने आया था. इसमें स्वीडन से तोप खरीदने के सौदे में रिश्वत के लेनदेन के आरोपों में तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी और दिवंगत इतालवी कारोबारी ओतावियो क्वात्रोकी के नाम घिर गए थे.
दिल्ली सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश आर एस सोढ़ी ने 31 मई, 2005 को हिंदूजा भाइयों श्रीचंद, गोपीचंद व प्रकाशचंद और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ सभी आरोप निरस्त कर दिए थे. सीबीआई को मामले से निपटने के उसके तरीके के लिए यह कहते हुए फटकार लगाई थी कि इससे सरकारी खजाने पर करीब 250 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा.