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2014 में जीत के लिए कांग्रेस का चुनावी चिंतन

कांग्रेस का बहुप्रतीक्षित ‘चिंतन शिविर’ अगले साल 18 से 20 जनवरी तक जयपुर में होगा जिसमें मौजूदा राजनीतिक आर्थिक स्थिति की समीक्षा की जायेगी और साथ ही अगले लोकसभा चुनाव से पहले नये विचारों पर चर्चा की जायेगी.

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जर्नादन द्विवेदी
जर्नादन द्विवेदी

कांग्रेस का बहुप्रतीक्षित ‘चिंतन शिविर’ अगले साल 18 से 20 जनवरी तक जयपुर में होगा जिसमें मौजूदा राजनीतिक आर्थिक स्थिति की समीक्षा की जायेगी और साथ ही अगले लोकसभा चुनाव से पहले नये विचारों पर चर्चा की जायेगी.

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कांग्रेस महासचिव एवं मीडिया विभाग के प्रमुख जर्नादन द्विवेदी ने बताया कि तीन दिवसीय इस शिविर के पहले दो दिन तो विचार मंथन होगा और अंतिम दिन यह बैठक महासमिति की बैठक में बदल जायेगी. इस शिविर में तकरीबन तीन सौ वरिष्ठ नेता हिस्सा लेंगे.

चिंतन शिविर में हुए गहन विचार विमर्श में जो निष्कर्ष निकलेगा उसकी पुष्टि महासमिति की बैठक में की जायेगी.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिसम्बर 2010 में दिल्ली के बुराड़ी में आयोजित पार्टी के महाधिवेशन में इस तरह के चिंतन शिविर के आयोजन का विचार रखा था लेकिन इसका आयोजन अब तक नहीं हो पाया था क्योंकि पार्टी और सरकार एक के बाद एक संकटों से जूझती रही थी.

सोनिया गांधी के 1998 में कांग्रेस अध्यक्ष का कार्यभार संभालने के बाद पार्टी का इस तरह का यह तीसरा चिंतन शिविर होगा. इससे पहले मध्य प्रदेश के पंचमढी और हिमाचल प्रदेश के शिमला में पार्टी के चिंतन शिविर आयोजित हो चुके हैं.

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द्विवेदी ने बताया कि जयपुर में आयोजित होने वाले चिंतन शिविर में राजनीतिक और आर्थिक हालात की समीक्षा की जायेगी और साथ ही देश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में केन्द्र की संप्रग सरकार द्वारा लागू की जा रही योजनाओं पर चर्चा होगी. यह शिविर जयपुर में इसलिये भी आयोजित किया जा रहा है क्योंकि वहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चिंतन शिविर में राज्यों के मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दलों के नेता भी हिस्सा लेंगे.

यह शिविर पार्टी द्वारा हाल के महीनों में आयोजित किये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों का हिस्सा है जिसके जरिये पार्टी को अगले लोकसभा चुनाव के लिए तैयार किया जा रहा है.

चिंतन शिविर से पहले पार्टी ने अभी पिछले महीने नौ तारीख को दिल्ली के निकट सूरजकुंड में संवाद बैठक का आयोजन किया था और एफडीआई के मुद्दे पर विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए चार नवम्बर को रामलीला मैदान में रैली की थी.

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