गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति को अवरुद्ध करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला करते हुए कांग्रेस ने शनिवार को उनपर हिटलर की तरह काम करने का आरोप लगाया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उनके ‘दोहरे खेल’ का पर्दाफाश हो गया है.
लोकायुक्त की नियुक्ति के गुजरात सरकार के विरोध की तुलना संस्थानों की तालाबंदी के हिटलर के कृत्य से करते हुए पार्टी ने कहा, ‘ऐसे लोग दिल्ली में आना चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने देश के लिए चेतावनी संकेत के तौर पर काम किया है.’ कांग्रेस की प्रतिक्रिया कोर्ट के मोदी सरकार की उपचारात्मक याचिका के खारिज करने के दो दिन बाद आई है. उसमें राज्यपाल द्वारा लोकायुक्त की नियुक्ति के वारंट को चुनौती दी गई थी.
कांग्रेस प्रवक्ता राज बब्बर ने कहा कि मोदी का ‘प्रचारित दंभ और बीजेपी के पाखंड’ का खुलासा हो गया है. उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री से राज्य की जनता से माफी मांगने को कहा. उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने पांच न्यायाधीशों की पीठ के आदेश के जरिए, जो लोग स्वच्छ होने का दिखावा करते हैं और आचरण उसके विपरीत करते हैं उनका खुलासा कर दिया है.’
उन्होंने कहा, ‘अब यह उम्मीद की जाती है कि मोदी द्वारा केंद्र में लोकपाल की वकालत और साथ में गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति को रोकने का दोहरा खेल समाप्त होगा.’ जब एक संवाददाता ने गलत रिपोर्टिंग करने वाले मीडियाकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी की टिप्पणी के बारे में पूछा तो बब्बर ने इस अवसर का इस्तेमाल मोदी को उनके ‘बुरका’ संबंधी टिप्पणी के लिए निशाना बनाने के लिए किया और जर्मन तानाशाह हिटलर और उनके प्रचार मंत्री जोसफ गोयबल्स का उल्लेख किया.
उन्होंने कहा, ‘आपको इसका सामना करना पड़ेगा. यह हिटलर और गोएबल्स की संस्कृति है. हिटलर शैली की सोच के तहत जो लोग उनका समर्थन करते हैं वे ठीक हैं, शेष को कार्रवाई का सामना करना पड़ता है.’ मोदी पर अपने ‘काले कारनामों’ को छिपाने के लिए लोकायुक्त की नियुक्ति को रोकने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री ने कानून और शासन की सभी प्रक्रियाओं को ‘पलट’ दिया.
बब्बर ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि मोदी और बीजेपी गुजरात की जनता से माफी मांगें. राज्य सरकार ने लोकायुक्त की नियुक्ति को रोकने के लिए सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न वकीलों पर विधिक शुल्क के तौर पर 45 करोड़ रुपये का खर्च किया है. मोदी को इस अपव्यय का विवरण प्रदान करना चाहिए.’
प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ को मोदी सरकार द्वारा दायर उपचारात्मक याचिका में कोई गुण-दोष नहीं दिखा था. इससे पहले राज्यपाल कमला बेनीवाल द्वारा न्यायमूर्ति मेहता की नियुक्ति को कानूनी और वैध ठहराने वाले गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ मोदी सरकार की अपील और पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.