भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में पुणे पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा समाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरिया और वरनोन गोंजालवेस के घरों पर छापेमारी और गिरफ्तारी की वाम दलों और कांग्रेस ने निंदा की है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि भारत में केवल एक एनजीओ के लिए जगह है, जिसका नाम आरएसएस है. बाकी सारे एनजीओ को ताला लगा दो. सारे एक्टिविस्टों को जेल में डाल दो और जो इसके खिलाफ आवाज उठाते हैं उन्हें गोली मार दो.
नए भारत में आपका स्वागत है.
There is only place for one NGO in India and it's called the RSS. Shut down all other NGOs. Jail all activists and shoot those that complain.
Welcome to the new India. #BhimaKoregaon
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 28, 2018
वहीं, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि वे इन गिरफ्तारियों की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि लगातार उन दलित कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है, जिन्होंने मौजूदा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था. हालांकि मामला अब न्यायालय के अधीन है. लेकिन इस तरह की गिरफ्तारियां देशवासियों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है. और यह 1975 के आपातकाल से भी बदतर स्थिती है, जब मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को भी नहीं छोड़ा जा रहा है.
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयपाल रेड्डी ने भी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की कड़े शब्दों में भर्त्सना की है. कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य पीएल पुनिया ने कहा है कि अर्बन नक्सल बताकर लोगों को परेशान किया जा रहा है, ये दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है. उन्होंने कहा कि सनातन संस्था के सदस्य दाभोलकर की हत्या में शामिल हैं और कबूल कर चुके हैं. जिसपर पुलिस कुछ खास नहीं कर रही है. पुनिया ने सवाल खड़ा किया कि भीमा कोरेगांव में पीएम की हत्या की साजिश वाला मामला भी टांय-टांय फिस्स हो गया, उस मामले क्या हुआ?
छत्तीसगढ़ बचाव आंदोलन ने कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी का विरोध किया है. उनके मुताबिक इन कार्यकर्ताओं को फर्जी मामलों में फंसाया जा रहा है. झूठे आरोपों के आधार पर गैर जमानती धाराएं लगाई गई हैं. छत्तीसगढ़ बचाव आंदोलन ने बयान जारी कर कहा कि सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा और स्टेन स्वामी समेत उनके कुछ मानवाधिकारवादी लेखकों और वकीलों को पुलिस ने गिरफ्तार कर राजकीय दमन किया है. ये कार्यकर्ता पिछले 30 वर्षों से मजदूरों, आदिवासियों और दलितों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं.
उधर, छत्तीसगढ़ पुलिस ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि आरोपियों की गिरफ्तारी की खबर उन्हें भी है. चूकि कार्रवाई दिल्ली में हुई है, लिहाजा दिल्ली पुलिस से संपर्क किया जा रहा है.
बता दें कि भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में देश के कई हिस्सों में मंगलवार को पुणे पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने कई एक्टिविस्ट और माओवादी नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी की. ये छापेमारी महाराष्ट्र, गोवा, तेलंगाना, दिल्ली और झारखंड में की गई. बता दें कि सभी छापेमारी पुणे पुलिस और स्थानीय पुलिस ने एक साथ की.
पुणे पुलिस की ओर से अब तक कुल 5 गिरफ्तारियां की गई हैं. दिल्ली, हरियाणा और हैदराबाद से 1-1 गिरफ्तारी, जबकि मुंबई से 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया. दलित एक्टविस्ट गौतम नवलखा, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरिया और वरनोन गोंजालवेस गिरफ्तार किए गए लोगों में शामिल हैं. हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा की गिरफ्तारी पर एक दिन के लिए रोक लगा दी है.