नेशनल हेराल्ड मामले में कोर्ट-कचहरी का सामना करने वाली कांग्रेस ने गुरुवार को इस ओर एक बड़ा फैसला किया है. पार्टी के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा की अध्यक्षता में 'द असोसिएटेड जर्नल्स' (एजेएल) की EGM में फैसला लिया गया है कि एजेएल को 'नॉन प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन' में बदल दिया जाएगा.
यही नहीं, इसके साथ ही नेशनल हेराल्ड, कौमी आवाज और नवजीवन को फिर से शुरू करने का फैसला किया गया है. वोरा की अध्यक्षता में हुई ईजीएम में 'द असोसिएटेड जर्नल्स' का नाम बदलने का भी फैसला लिया गया. नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी फिलहाल जमानत पर हैं.
The members considered an approved number of resolutions to convert AJL (Associated Journals Ltd) into a non-profit company- Motilal Vora
— ANI (@ANI_news) January 21, 2016
मुखपत्र की जरूरत
दरअसल, 1938 में जवाहरलाल नेहरू ने कांग्रेस के एक मुखपत्र की जरूरत महसूस की और यूपी की राजधानी लखनऊ से नेशनल हेराल्ड नाम के अखबार की शुरुआत की. इसका मालिकाना हक असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) के पास था, जो उस वक्त दो और अखबार हिंदी में 'नवजीवन' और उर्दू में 'कौमी आवाज' छापा करती थी.
'यंग इंडियन' का उदय
साल 2008 तक एजेएल इन तीनों अखबारों को चलाती रही, लेकिन 2008 में ही कंपनी ने सभी प्रकाशनों को निलंबित कर दिया और इसी के साथ कंपनी पर 90 करोड़ रुपये का कर्ज भी चढ़ गया. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने 23 नवंबर 2010 को 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' नाम से एक नई 'नॉट-फॉर प्रॉफिट कंपनी' बनाई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और सैम पित्रोदा को निदेशक बनाया गया.
90 करोड़ का कर्ज और अधिग्रहण
यंग इंडियन कंपनी में सोनिया और राहुल के पास 38-38 फीसदी शेयर थे, जबकि बाकी के 24 फीसदी शेयर अन्य मेंबर्स के पास थे. बताया जाता है कि इसके बाद कांग्रेस ने यंग इंडियन को 90 करोड़ रुपये का कर्ज दिया, जिसके बाद इस कंपनी ने असोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड का अधिग्रहण कर लिया.
सुब्रमण्यन स्वामी के आरोप
बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने एक नवंबर 2012 को एक याचिका दायर कर सोनिया, राहुल समेत कांग्रेस पार्टी के नेताओं पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया. याचिका में उन्होंने कहा कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड ने सिर्फ 50 लाख रुपये में 90.25 करोड़ रुपये वसूलने का तरीका निकाला, जो नियमों के खिलाफ है.
'हवाला कारोबार का अंदेशा'
दावा किया जाता है कि एजेएल के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर 'यंग इंडियन' को दे दिए गए और इसके बदले यंग इंडियन को कांग्रेस का लोन चुकाना था. 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को एजेएल की 99 फीसदी शेयर हासिल हो गई. इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का लोन भी माफ कर दिया. यानी 'यंग इंडियन' को मुफ्त में एजेएल का स्वामित्व मिल गया. सुब्रमण्यन स्वामी ने इस 90 करोड़ रुपये के प्रकरण में हवाला कारोबार का शक जताया है.
'हेराल्ड हाउस पर कब्जा करने की कोशिश'
स्वामी का आरोप है कि यह सब कुछ दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस की 1,600 करोड़ रुपये की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया. अपनी याचिका में बीजेपी नेता ने लिखा है कि साजिश के तहत यंग इंडियन लिमिटेड को एजेएल की संपत्ति का अधिकार दिया गया है.
हेराल्ड हाउस को फिलहाल पासपोर्ट ऑफिस के लिए किराए पर दिया गया है. स्वामी का कहना है कि हेराल्ड हाउस को केंद्र सरकार ने समाचार पत्र चलाने के लिए जमीन दी थी, इस लिहाज से उसे व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.