मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस एक संयुक्त विपक्षी मोर्चा बनाने की कोशिश कर रही है, लेकिन राजस्थान में वह अकेले चुनाव लड़ सकती है. कांग्रेस एमपी और छत्तीसगढ़ में पिछले 15 साल से सत्ता से बाहर है, ऐसे में वह एक-एक सीट के बारे में बहुत सतर्कता के साथ विचार कर रही है.
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, पार्टी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बहुजन समाज पार्टी और जमीनी स्तर पर काम कर रहे कुछ छोटे दलों के साथ महागठबंधन बनाने की कोशिश कर रही है.
मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ बीएसपी नेताओं के साथ बातचीत में लगे हैं. साल 2013 के चुनाव में राज्य की 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 58 और बीएसपी को चार सीटें मिली थीं. बीएसपी को राज्य में स्थायी रूप से लगभग 7 फीसदी वोट मिलते रहे हैं. कांग्रेस को पिछले चुनाव में करीब 36 फीसदी वोट मिले थे.
उसे उम्मीद है कि चुनाव पूर्व गठबंधन करने से उसे बसपा के वोट ट्रांसफर होंगे. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने अखबार से कहा, 'हम मध्य प्रदेश में संयुक्त विपक्ष के रूप में मुकाबले की उम्मीद करते हैं. हम बीएसपी के साथ सीट साझेदारी पर काम कर रहे हैं.'
अगर समझौता नहीं हो पाता है तो भी पार्टी ऐसी रणनीतिक साझेदारी पर काम कर सकती है जिसमें दोनों पार्टियां एक-दूसरे के मजबूत इलाकों में अपने कैंडिडेट न खड़े करें. राज्य में करीब 34 सुरक्षित सीटें हैं.
छत्तीसगढ़ में साल 2013 में कांग्रेस और बीजेपी के वोटों में 0.7 फीसदी का ही मामूली अंतर था. इस बार भी कड़े मुकाबले का अनुमान लगा रही कांग्रेस बीएसपी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (GGP) के साथ अपनी नैया पार लगने की उम्मीद कर रही है. राज्य में अजित जोगी की जनता कांग्रेस भी मैदान में रहेगी. राज्य में कांग्रेस की बीएसपी और जीजीपी के साथ बातचीत चल रही है.
2013 में राज्य में बीएसपी को महज एक सीट मिली थी और एक अन्य सीट पर उसका कैंडिडेट दूसरे स्थान पर था. करीब 12 सीटों पर बीएसपी को 1,500 से 17,000 वोट मिले थे. इसी तरह जीजीपी का भी आठ विधानसभा सीटों पर अच्छा असर है.
कांग्रेस को उम्मीद है कि वह राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा में गठबंधन के दम पर मुकाबले में बाजी मार ली जाएगी.
राजस्थान में एकला चलो
राजस्थान में कांग्रेस किसी दल के साथ गठबंधन करने को इच्छुक नहीं दिख रही. साल 2013 के चुनाव में राज्य में पार्टी का प्रदर्शन ऐतिहासिक रूप से खराब रहा था, उसे महज 21 सीटें मिलीं थीं. राज्य की 200 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी को 163 सीटों पर बंपर जीत मिली थी. बीएसपी को तीन, नेशनल पीपल्स पार्टी को चार और नेशनल यूनियनिस्ट जमींदारा पार्टी को दो सीटें मिलीं थीं.
कांग्रेस को उम्मीद है कि इस बार दो धुव्रीय मुकाबला होगा और वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ एंटी इन्कमबेंसी की वजह से वह बाजी मार लेगी.
राज्य में एससी की जनसंख्या 17 फीसदी है और इस वर्ग के लिए 34 सीटें आरक्षित हैं. हालांकि इन सुरक्षित सीटों में से उसे महज 2 सीटों पर जीत मिली थी. लेकिन पार्टी राज्य ईकाई में दलितों की भागीदारी बढ़ा रही है.