संघ और बीजेपी हमेशा कहती रही है कि संगठन सर्वोपरि है, व्यक्ति नहीं. लेकिन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का फोबिया पार्टी नेताओं के सिर पर इस कदर चढ़ चुका है कि वे अपना अतीत ही भुला देते हैं.
अतीत भी कोई ज्यादा पुराना हो, तो बात समझी जा सकती है, लेकिन पिछले साल अप्रैल में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश की जिस टिप्पणी पर बीजेपी आग-बबूला हुई थी और संघ-बीजेपी-विहिप से जुड़े कार्यकर्ता रमेश के सरकारी आवाज पर जाकर पेशाब तक किया था, अब जब वैसी ही टिप्पणी बीजेपी के 'हिंदू हृदय सम्राट' कहे जाने वाले नरेंद्र मोदी ने की तो, बीजेपी को सांप सूंघ गया है.
दरअसल पिछले साल अप्रैल में स्वच्छता अभियान के तहत निर्मल भारत यात्रा की शुरुआत करते हुए जयराम रमेश ने कहा था कि देश की 64 फीसदी आबादी आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर है, इसलिए देश को मंदिरों से ज्यादा शौचालयों की जरूरत है. इसे बीजेपी ने हिंदू धर्म और आस्था पर चोट करार दिया था. बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी ने रमेश की कड़ी आलोचना की थी. धार्मिक भावना को देख कांग्रेस ने भी रमेश से किनारा करते हुए उन्हें खुद बचाव करने में सक्षम बताया था. तब कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा था कि कांग्रेस सर्वधर्म समभाव में विश्वास करती है और रमेश अपने बयान के बारे में खुद सफाई देंगे.
लेकिन दिल्ली में युवाओं के एक कार्यक्रम में मोदी ने साफ तौर पर कहा कि उन्हें हिंदुत्ववादी नेता के तौर पर जाना जाता है और उनकी छवि ऐसा कहने की इजाजत नहीं देती. लेकिन उनकी सोच है कि देश में पहले शौचालय हो, फिर देवालय. मोदी की इस टिप्पणी को बीजेपी नेता बलबीर पुंज स्वच्छता के लिए अच्छी पहल करार दे रहे हैं, तो बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी ट्वीट कर सराहना की. उन्होंने तो इसे स्वामी विवेकानंद की राह पर चलना बताया और यह भी याद दिलाया कि 40 साल पहले लोहिया ने इस मुद्दे को संसद में उठाया था. लोग उन पर हंस रहे थे और अंग्रेजी मीडिया ने लोहिया का मजाक बनाया था.
पुंज ने मोदी की पहल को ईमानदार करार दिया, तो जयराम रमेश के बयान को राजनैतिक. लेकिन सवाल है कि बीजेपी को स्वच्छता की याद जयराम रमेश के बयान के वक्त क्यों नहीं आई? जयराम रमेश तो आज भी अपने उस बयान पर डटे हुए हैं और मोदी के बयान को छवि बदलने के लिए मजबूरी में दिया राजनैतिक बयान बता रहे हैं. रमेश ने अब बीजेपी नेता रूडी और जावडे़कर को पुरानी आलोचना भी याद दिलाई है. रमेश ने कहा है कि तब बीजेपी-संघ के कार्यकर्ता उनके घर तक पहुंचे थे और बोतलों में पेशाब कर वहां फेंक गए थे.