कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, 'बनारस में कई सारे छात्र, अंबेडकरवादी, गांधीवादी और सामाजिक कार्यकर्ता शांतिपूर्ण तरीके से नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. पुलिस ने उनको जेल भेज दिया है. एक परिवार का एक साल का बच्चा अकेले है. शांतिपूर्ण प्रदर्शन की ये सजा. सरकार का व्यवहार हद से बाहर हो चुका है.' प्रियंका गांधी ने गिरफ्तार किए गए 21 लोगों की तस्वीर को भी ट्विटर पर साझा किया है.
बिजनौर में पीड़ित परिवार से की मुलाकात
इससे पहले हाल ही में प्रियंका गांधी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान बिजनौर में भड़की हिंसा में जान गंवाने वाले लोगों के घर पहुंची थीं और उनके परिजनों से मुलाकात की थी. मंगलवार को भी प्रियंका गांधी अपने भाई और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मेरठ में हिंसक प्रदर्शन में मारे गए लोगों के परिजनों से मिलने जा रही थीं, लेकिन मेरठ शहर में प्रवेश करने से पहले ही पुलिस ने उनको रोक दिया था.
इसके बाद उनको दिल्ली वापस लौटना पड़ा था. कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों को मेरठ के बाहर परतापुर से वापस लौटा दिया गया. दोनों नेता मेरठ में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों से मिलने के लिए दिल्ली से रवाना हुए थे.
जब यह जानकारी प्रशासन को मिली, तो भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया और दोनों नेताओं को मेरठ में प्रवेश करने से पहले रोक दिया गया. हालांकि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय साहनी का कहना है कि कांग्रेस नेताओं को जिले में लागू निषेधाज्ञा के कागज दिखाए गए और वे खुद लौट गए.
इसके अलावा प्रियंका गांधी नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने पर भी सरकार की तीखी आलोचना की थी. प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया था, 'मेट्रो स्टेशन बंद हैं. इंटरनेट बंद है. हर जगह धारा 144 है. किसी भी जगह आवाज उठाने की इजाजत नहीं है. जिन्होंने आज टैक्सपेयर्स का पैसा खर्च करके करोड़ों का विज्ञापन लोगों को समझाने के लिए निकाला है, वही लोग आज जनता की आवाज से इतना बौखलाएं हुए हैं कि सबकी आवाजें बंद कर रहे हैं.' प्रियंका गांधी ने एक अन्य ट्वीट में कहा था, 'मगर इतना जान लीजिए कि आवाज को जितना दबाएंगे, उतनी तेज आवाज उठेगी.'