भारत की ओर से 29 सितंबर की सर्जिकल स्ट्राइक और राहुल गांधी के 'खून की दलाली' वाले बयान के बाद कांग्रेस बैकफुट आ गई थी. इन दिनों मनमोहन सरकार के कमजोर और मोदी सरकार के मजबूत होने की बहस छिड़ी हुई थी, लेकिन यूपीए सरकार के दौरान हुई सर्जिकल स्ट्राइक की दस्तावेजी खबर मानो कांग्रेस, उसके नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए राहत बनकर आई है.
कांग्रेस के हाथ जंग का नया हथियार
कांग्रेसियों को ऐसा लगा कि अब उनको मोदी सरकार से सियासी जंग करने के लिए नया हथियार मिल गया. रविवार को छुट्टी का दिन, ऊपर से कई दिनों की छुट्टी के चलते ज्यादातर नेता दिल्ली से बाहर थे. ऐसे में नेता की तलाश के बाद कांग्रेस ने राज्यसभा में पार्टी के उपनेता आनंद शर्मा को मैदान में उतारा.
'सेना पर बंद होनी चाहिए राजनीति'
आनंद शर्मा बोले, 'भारत की सेना राजनीति से ऊपर है. उनकी क़ुर्बानी पर देश को नाज है. पहली बार सर्जिकल स्ट्राइक का मतलब ये है कि सेना पहले शिथिल रही है. यूपीए सरकार ने सोचा कि पहले की गई सर्जिकल स्ट्राइक की राजनीतिक दावेदारी नहीं की जाए, लेकिन मौजूदा सरकार दावेदारी पेश कर रही है. सेना के मसले का राजनीतिकरण किया जा रहा है. अगर सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीति बंद नहीं हुई, तो देश का अहित होगा. इस पर राजनीति बंद होनी चाहिए.'
सियासी बढ़त हासिल करने की कोशिश
इसके बाद मणिशंकर अय्यर से लेकर नेताओं की फौज मैदान में उतर आई. फेसबुक और ट्विटर पर कांग्रेसी सियासी मुकाबले में जुट गए. आगे के लिए भी कांग्रेस रणनीति तैयार कर रही है, आपस में सोमवार को बैठक के बाद पार्टी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सियासी बढ़त हासिल करने की कोशिश करेगी.