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अलग तेलंगाना पर कांग्रेस तैयार, मानसून सत्र से पहले घोषणा!

अलग तेलंगाना राज्‍य के गठन को लेकर सरगर्मी एक बार फिर तेज हो गई है. शुक्रवार को इसी मामले में कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक हुई और इस बैठक के बाद पार्टी महासचिव और आंध्र प्रदेश के प्रभारी दिग्विजय सिंह बोले, ‘अब फैसले का वक्‍त आ गया है.’

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सोनिया गांधी
सोनिया गांधी

अलग तेलंगाना राज्‍य के गठन को लेकर सरगर्मी एक बार फिर तेज हो गई है. शुक्रवार को इसी मामले में कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक हुई और इस बैठक के बाद पार्टी महासचिव और आंध्र प्रदेश के प्रभारी दिग्विजय सिंह बोले, ‘अब फैसले का वक्‍त आ गया है.’ सूत्रों के मुताबिक, सरकार अलग तेलंगाना राज्‍य बनाने का मन बना चुकी है.

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सूत्रों का कहना है कि हैदराबाद को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की संयुक्‍त राजधानी बनाने पर भी सहमति बन सकती है. कहा तो यहां तक जा रहा है कि कांग्रेस संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले ही इसकी घोषणा कर सकती हें.

कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने के अनुसार आंध्र प्रदेश में 31 जुलाई को हो रहे स्थानीय निकायों के चुनाव के बाद इस संदर्भ में फैसला किया जा सकता है. इस पर आखिरी निर्णय लेने की जिम्मेदारी अगस्त के पहले सप्ताह में हो रही कांग्रेस कार्य समिति की बैठक पर छोड़ दी गई है.
सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस कोर ग्रुप की करीब दो घंटे चली बैठक के बाद इस तरह का संकेत आया. इस बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और दूसरे वरिष्ठ नेता मौजूद थे.

कोर ग्रुप की बैठक के बाद कांग्रेस के आंध्र प्रदेश मामलों के प्रभारी दिग्विजय सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘विचार-विमर्श की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. अब पार्टी और साथ ही यूपीए सरकार के फैसले की प्रतीक्षा है. कोर ग्रुप की इस बैठक में ए.के. एंटनी, पी. चिदम्बरम, सुशील कुमार शिंदे और गुलाम नबी आजाद ने भी हिस्सा लिया.

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इससे पहले सिंह ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री किरन कुमार रेड्डी सहित राज्य के विभिन्न नेताओं से करीब तीन घंटे तक चर्चा की. सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री, राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री ने अलग-अलग बैठकों में दिग्विजय सिंह को विस्तार से जानकारी दी. इसके बाद दिग्विजय ने कहा, ‘विचार-विमर्श की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और फैसला करने का वक्त आ गया है. हम आपको फैसले के बारे में बता देंगे.’

आंध्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बोत्सा सत्यनारायण और उप-मुख्यमंत्री दामोदर राजनरसिम्हा उन नेताओं में शामिल थे, जिनसे दिग्विजय ने कांग्रेस के ‘वार रूम’ में मुलाकात की. तेलंगाना समर्थक और तेलंगाना विरोधी नेता अभी दिल्ली में जुटे हुए हैं ताकि केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव बना सकें.

सूत्रों ने कहा कि अलग-अलग मुलाकातों में मुख्यमंत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उप-मुख्यमंत्री ने दिग्विजय सिंह के सामने अपनी-अपनी बातें रखीं. हाल ही में दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस मुद्दे पर एक रिपोर्ट सौंपी थी. कांग्रेस कोर ग्रुप ने इस महीने की शुरुआत में तेलंगाना मुद्दे पर चर्चा की थी और आखिरी फैसले के लिए मामला कांग्रेस कार्यसमिति पर छोड़ने का फैसला किया था.

पार्टी द्वारा अलग तेलंगाना के पक्ष में फैसला लिए जाने की अटकलों के बीच गैर-तेलंगाना क्षेत्र से सत्ताधारी कांग्रेस के एक विधायक और वाईएसआर कांग्रेस के दो विधायकों ने हैदराबाद में कहा था कि एकीकृत आंध्र प्रदेश के मुद्दे पर समर्थन में उन्होंने अपने पद से ‘इस्तीफा’ दे दिया है.

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अलग राज्‍य की मांग क्‍यों:
1 नवंबर 1956 को तेलंगाना का आंध्र प्रदेश में विलय किया गया था. तेलंगाना के लोग इसके पक्ष में नहीं थे. तब केंद्र सरकार ने एक समझौता करके भरोसा दिलाया था कि तेलंगाना को विभिन्‍न क्षेत्रों में खर्च से लेकर सभी प्रशासनिक अधिकार दिए जाएंगे. यह करार 1969 तक के लिए था.

राजनीतिक नफा-नुकसान:
तेलंगाना में लोकसभा की 21 और आंध्र प्रदेश में भी 21 सीटें आएंगी.
अलग तेलंगाना बनने से कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की उम्‍मीद है.
पिछले लोकसभा चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस और अलग राज्‍य के गठन की मांग के कारण कांग्रेस कमजोर हुई थी.
तेलंगाना राज्‍य समिति (टीआरएस) के पास अलग राज्‍य का मुद्दा नहीं बचेगा.

और भी हैं कतार में...
हरित प्रदेश: जिसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्‍थान के जिले आएंगे.
पूर्वांचल: पूर्वी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के जिले शामिल होंगे.
बुंदेलखंड: उत्तर प्रदेश और मध्‍य प्रदेश के जिलों को मिलकर बनेगा.
मिथिलांचल: बिहार और झारखंड के मिथिला बोलने वाले करीब 24 जिले इसमें शामिल हैं.
विदर्भ: महाराष्‍ट्र का एक बड़ा हिस्‍सा.

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