संसद सत्र शुरु होने से ठीक एक दिन पहले लोकसभा स्पीकर ने सर्वदलीय बैठक की, जिसके तुरंत बाद ही ये साफ हो गया कि, संसद की शुरुआत हंगामें से होगी और मसला होगा उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन का.
उत्तराखंड का मामला फिलहाल अदालत में
दरअसल, कांग्रेस का साथ देते हुए आरजेडी, एनसीपी, जेडीयू,लेफ्ट ने स्पीकर से कहा कि, सबसे पहले उत्तराखंड में लगे राष्ट्रपति शासन पर चर्चा होनी चाहिए.
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि, एक तरफ संविधान और उसके निर्माता अंबेडकर की 125वीं जयंती मनी और दूसरी तरफ अरुणांचल के बाद उत्तराखंड में लोकतंत्र की हत्या की गई, हम इस सभी काम रोक कर सदन में चर्चा चाहते हैं.
बैठक के बाद सरकार की तरफ से संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने साफ कहा कि, फैसला तो स्पीकर करेंगी, लेकिन उत्तराखंड का मामला फिलहाल अदालत में चल रहा है, 27 अप्रैल को सुनवाई है, इसलिए फिलहाल इस मसले पर चर्चा कराना सही नहीं होगा. सरकार के इस बयान के बाद स्पीकर ने भी साफ कहा कि, मामला अदालत चल रहा है, ऐसे में चर्चा कराना संभव नहीं है.
बस फिर क्या था.. तकरीबन तय हो गया कि, लोकसभा में खूब हंगामा होगा और विपक्ष काम-काज ठप्प करने में जुटेगा. विधानसभा चुनाव के चलते टीएमसी, एआईएडीएमके और डीएमके का कोई नेता बैठक में मौजूद नहीं था. हालांकि, सरकार की नज़र टीएमसी, एआईएएमके और बीजेडी जैसे दलों पर है, जो मौके पर उसकी नैया पार लगा सकें. कांग्रेस समेत बाकी विपक्षी दलों ने सूखा, जलसंकट, किसानों की समस्या, मंहगाई और गंगा की सफाई का मुद्दा उठाया और चर्चा की मांग की. आरजेडी सांसद जेपी यादव ने एक बार फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा के मुद्दे पर चर्चा की वकालत की.
ऑड-इवन का मसला भी उठा
वैसे इस बैठक में दिल्ली में ऑड-इवन का मसला भी उठा, टीआरएस सांसद जितेन्द्र कुमार रेड्डी ने कहा कि, ज्यादातर सासंद बाहर से आते हैं और दिल्ली में उनके पास एक ही गाड़ी है, स्टीकर की भी समस्या होगी, क्योंकि सासंदों को संसद सत्र के दौरान संसद के साथ साथ तमाम बैठकों के लिए संसद आना जाना होता है. इसलिए सासंदों की स्टीकर वाली कार से आड-इवन से छूट मिलनी चाहिए, जिसका कई नेताओं ने समर्थन किया, लेकिन बीजेडी एमपी भर्तहरि मेहताब इस प्रस्ताव का खुलकर विरोध कर दिया. हालांकि बाद में स्पीकर ने कहा कि, वो वैकल्पिक व्यवस्था के लिए संसद के ट्रासंपोर्ट विभाग से बात करेंगी, जिससे फेरी की गांड़ियों की संख्या बढ़ाई जा सके.
हालांकि इन तमाम मुद्दों को सुनने के बाद सरकार का कहना है कि, वो सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन असल पेंच उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन पर चर्चा को लेकर फंस गया है, जहां पर सरकार और विपक्ष का बड़ा तबका दोनों अलग-अलग छोर पर खड़े हैं. सरकार भले ही संख्या बल के दम पर लोकसभा में विधायी काम-काज कराने में सफल रहे, लेकिन उसके सामने असली चुनौती राज्यसभा में है, जहां संख्याबल में विपक्ष भारी है.
वैसे भी संसद के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस और विपक्षी दलों ने सदन का काम-काज काफी हद तक राज्यसभा में करीब-करीब ठप्प कर दिया था, लेकिन जनता के बीच छवि चिन्ता के चलते बजट सत्र के पहले भाग में विपक्ष ने काफी हद तक सरकार का सहयोग किया था. इसी बीच पहले अरुणांचल और फिर उत्तराखंड में हुई सियासी हलचल ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को एक बार फिर हमलावर होने का मौका दे दिया है.
उधर, कांग्रेस को एहसास है कि, उसे काउंटर करने के लिए सत्ता पक्ष ने पहले ही इशरत जहां मुद्दे पर तोप का मुंह सोनिया और राहुल की तरफ मोड़ दिया है. इसीलिए आनन-फानन में कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खड़गे, कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी को सत्र शुरु होने से ठीक एक दिन पहले मीडिया से मुखातिब कराया, जिसमें पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल ने दोहराया कि, इशरत जहां आतंकी थी या नहीं ये तो अदालत तय करेगी, लेकिन उसका इनकाउंटर हुआ ये तो अभी तक सामने आया है. लेकिन सरकार इस मुद्दे से ध्यान हटाना चाहती है, चार्जशीट दाखिल होने के बावजूद अब तक इसका ट्रायल शुरु नहीं हुआ.
कांग्रेस ने मांग की कि जल्दी ही इस मामले ट्रायल शुरु हो. साथ ही कांग्रेस ने चार्जशीट के तथ्यों का हवाला देते हुए कहा कि, इस मामले में ट्रायल शुरु होने पर पीएम मोदी और अमित शाह को भी सम्मन जाएगा, इसीलिए अब तक ट्रायल शुरु नहीं हुआ, आखिर सरकार और सीबीआई एक ही हैं. वहीं इस मुद्दे पर सरकार की तरफ से राजीव प्रताप रूडी ने जवाब दिया कि, कांग्रेस आतंकियों और आतंक को लेकर उदार रुख ऱखती रही है. ऐसे में दोनों तरफ से संसद में एक-दूसरे पर भारी पड़ने के लिए सियासी हथियारों को धार दी जा चुकी है. बस इंतजार है सोमवार से शुरु होने जा रहे हंगामेदार सत्र के पहले दिन का.