सीनियर कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ने 1984 के सिख विरोधी दंगों में कथित भूमिका संबंधी विवाद को लेकर बुधवार की रात आगामी चुनावी राज्य पंजाब में पार्टी प्रभारी के पद से इस्तीफा दे दिया.
सोनिया गांधी ने इस्तीफा मंजूर किया
कमलनाथ ने अपना इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा, जिसे तुरंत मंजूर कर लिया गया और उन्हें पंजाब प्रभारी पद से मुक्त कर दिया गया. पूर्व केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ ने कहा कि वे 1984 के दर्दनाक दंगों को लेकर पैदा गैरजरूरी विवाद से जुड़े घटनाक्रम से आहत हैं.
तीन पहले ही कमलनाथ बनाए गए थे पंजाब के प्रभारी
गौरतलब है कि 13 जून को पंजाब और हरियाणा के प्रभारी महासचिव बनाए गए कमलनाथ ने सोनिया को लिखे अपने पत्र में कहा, 'मैं आग्रह करता हूं कि मुझे पंजाब में मेरे पद से मुक्त किया जाए ताकि यह सुनिश्चित हो कि पंजाब से असल मुद्दों से ध्यान नहीं भटके.' कमलनाथ हरियाणा के कांग्रेस प्रभारी पद पर बने रहेंगे.
कमलनाथ से खुद को बताया बेदाग
कमलनाथ ने कहा कि दंगा मामले में साल 2005 तक उनके खिलाफ कोई सार्वजनिक बयान या शिकायत या प्राथमिकी तक नहीं थी और पिछली राजग सरकार द्वारा गठित नानावटी आयोग ने उन्हें बाद में दोषमुक्त करार दिया था. उन्होंने सोनिया से कहा कि यह विवाद कुछ नहीं बल्कि चुनावों से पहले लाभ उठाने के लिए सस्ता राजनीतिक प्रयास है, कुछ खास तत्व केवल राजनीतिक लाभ के लिए इन मुद्दों को उठा रहे हैं.
विपक्ष के हमले के बाद कमलनाथ का इस्तीफा
कमलनाथ ने यह कदम ऐसे समय उठाया जब अकाली दल, बीजेपी और AAP ने इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगों में कमलनाथ की कथित भूमिका को लेकर उन पर तथा कांग्रेस पर हमला साधा. उनकी नियुक्ति को सिखों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा बताते हुए तीनों दल इस नियुक्ति को बड़ा तूल देने की तैयारी में थे.
इस्तीफे के बाद बीजेपी का हमला
इस बीच बीजेपी ने कांग्रेस पर हमला बोला है. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि कमलनाथ के इस्तीफे से साबित होता है कि 1984 सिख विरोधी दंगे में किसी-न-किसी रूस से कांग्रेस नेताओं का हाथ रहा था, तभी तो कमलनाथ को मौके की नजाकत को देखते हुए इस्तीफा देना पड़ा.