कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने राम मंदिर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरोपों पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा, 'मैं राम मंदिर मुद्दे पर जनवरी से लेकर नवंबर 2018 तक हुई सुनवाई में पेश नहीं हुआ. जब यह मामला अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आया, तो चीफ जस्टिस ने कहा कि यह उनकी प्राथमिकता में नहीं है. ऐसे में क्या पीएम मोदी में न्यायपालिका के खिलाफ बयान देने की हिम्मत है? इससे साफ होता है कि पीएम इस मुद्दे को सिर्फ चुनावी मकसद के लिए उछाल रहे हैं. वो इसके जरिए राजनीतिक फायदा लेना चाहते हैं.'
I've not appeared in SC b/w Jan-Nov'18. When matter came up in October, CJI said this is not priority. So, does PM have courage to make statement against judiciary. This only shows PM wants to rake this up for purposes of election, for making political capital out of it: K Sibal pic.twitter.com/CPuogELJ7e
— ANI (@ANI) November 25, 2018
कांग्रेस नेता सिब्बल ने कहा, 'पीएम ने आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई नहीं होने के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है. मैं कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व करता हूं. यह पीएम मोदी को भी पता है कि इस मामले में न कांग्रेस पार्टी पक्षकार है और न ही बीजेपी. मैं मामले में एक हितधारक का प्रतिनिधित्व कर रहा था.'
आपको बता दें कि राजस्थान के अलवर में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कांग्रेस पर सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की सुनवाई टालने का आरोप लगाया था. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कांग्रेस खतरनाक खेल कर रही है. सुप्रीम कोर्ट अयोध्या पर लोगों की बात सुनकर फैसला करना चाहती है, लेकिन कांग्रेस महाभियोग लाकर सुप्रीम कोर्ट के जजों को डरा रही है.
कपिल सिब्बल ने राम मंदिर की सुनवाई टालने की अपील की थी
पिछले साल कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर मामले की सुनवाई जुलाई 2019 तक टालने की अपील की थी. सुप्रीम कोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड का पक्ष रखते हुए कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि राम मंदिर मामले की सुनवाई को जुलाई 2019 तक टाल दिया जाए, क्योंकि मामला राजनीतिक हो चुका है. कपिल सिब्बल और राजीव धवन की ओर से कोर्ट में दलील दी गई थी कि इस मामले की जल्द सुनवाई सुब्रमण्यम स्वामी की अपील के बाद शुरू हुई, जो कि इस मामले में कोई पार्टी भी नहीं हैं.
सिब्बल ने कहा था कि कोर्ट को देश में गलत संदेश नहीं भेजना चाहिए, बल्कि एक बड़ी बेंच के साथ मामले की सुनवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा था कि राम मंदिर का निर्माण बीजेपी के साल 2014 के घोषणापत्र में शामिल है. लिहाजा कोर्ट को बीजेपी के जाल में नहीं फंसना चाहिए.
कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा था कि देश का माहौल अभी ऐसा नहीं है कि इस मामले की सुनवाई सही तरीके से हो सके. इस मसले को लेकर हड़बड़ी में सुनवाई हो रही है. सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से कपिल सिब्बल ने मांग की थी कि मामले की सुनवाई 5 या 7 जजों बेंच को साल 2019 के आम चुनाव के बाद करनी चाहिए, क्योंकि मामला राजनीतिक हो चुका है.