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यूपी चुनाव 2017 में नई टीम के साथ उतरेगी कांग्रेस, सोनिया से मिलें निर्मल खत्री

पार्टी ने यह तो तय कर लिया कि ब्राह्मण, राजपूत, मुस्लिम, पासी और कुर्मी पर वो दांव लगाएगी. प्लान यह है कि यूपी चुनाव के मद्देनजर अहम ओहदों के साथ ही, अहम कमेटियों का गठन हो, जिसमें खास चेहरों को जगह दिया जाए.

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यूपी चुनाव में ब्राह्मण कार्ड खेलना चाहती है कांग्रेस
यूपी चुनाव में ब्राह्मण कार्ड खेलना चाहती है कांग्रेस

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उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने अपनी सियासी रणनीति भले ही तय कर ली हो, लेकिन उसको अंजाम देने के लिए चेहरों का चयन करना अभी भी टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. प्रदेश के प्रभारी महासचिव मधुसूदन मिस्त्री और गुलाम नबी आजाद की नियुक्ति ने संकेत दे दिया कि यूपी में कांग्रेस नई टीम के साथ चुनाव में उतरेगी. बदलाव की तमाम अटकलों के बीच यूपी कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल खत्री ने सोनिया गांधी से मुलाकात की. सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने अपने इस्तीफे की पेशकश भी कर दी है.

10 जनपथ के सूत्रों के मुताबिक, महासचिव बदले जाने के बाद अध्यक्ष बदले जाने की खबरों के बीच निर्मल खत्री ने दो टूक कहा कि वो हाई कमान के हर फ़ैसले के साथ हैं. किसी और को अध्यक्ष बनाया जाता है, तो उन्हें कोई ऐतराज नहीं है. हर हालत में वो पार्टी को सहयोग करेंगे. हालांकि, सोनिया से मिलने के बाद निर्मल ने कहा, 'फिलहाल मैं अध्यक्ष हूं और अपना काम कर रहा हूं.'

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आखिर कहां फंसा है पेंच
इलेक्शन स्ट्रैटजिस्ट प्रशांत किशोर (Pk) की सलाह पर कांग्रेस इस बात को तो मान गई कि ब्राह्मण चेहरा, राजपूत की मदद, मुस्लिम वोट के साथ दलित समुदाय में वापसी और ओबीसी में कुर्मी वोटबैंक पर कांग्रेस कि निगाहें हैं, और यही कांग्रेस की रणनीति भी है.

कौन-कौन हैं लाइन में
मुस्लिम समुदाय से आने वाले गुलाम नबी आज़ाद को प्रभारी महासचिव बनाने के बाद अब रणनीति के तहत यूपी की कमान ब्राह्मण को सौंपने की है. ब्राह्मण चेहरे कई हैं.

1.जितिन प्रसाद
यूपी कांग्रेस के बड़े नेता रहे जीतेंद्र प्रसाद के बेटे जितिन प्रसाद दावेदार की सूचि में आजकल आगे चल रहे हैं. जितिन राहुल के साथ केदारनाथ यात्रा में भी थे. फिर राहुल के नुमाइंदे के तौर पर यूपी सरकार में मंत्री बने, लेकिन पूरे प्रदेश में एक्सपोजर की कमी और माया-अखिलेश के सामने कद का छोटा होना उनके खिलाफ जा रहा है.

2.प्रमोद तिवारी
यूपी कांग्रेस में बतौर ब्राह्मण चेहरा प्रमोद तिवारी सबसे बड़ा नाम है, लेकिन बसपा और सपा से नज़दीकियों के आरोपों के साथ ही राज्यसभा में एक सीट का कम होना कांग्रेस के लिए मुफीद नहीं है.

3.शीला दीक्षित
प्रदेश के बड़े ब्राह्मण नेता रहे उमाशंकर दीक्षित की बहू और दिल्ली की तीन बार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, यूपी में बतौर चेहरा प्रशांत किशोर की पहली पसंद हैं, लेकिन, टैंकर घोटाले के सुर्खियों में आने के बाद उनका नाम भी संदेह के घेरे में है.

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4.राजेश मिश्रा और कमलपति त्रिपाठी के वंशज
बीएचयू के छात्र नेता और वाराणसी के पूर्व सांसद राजेश मिश्रा भी दौड़ में हैं. उनको टीम राहुल और टीम सोनिया पसंद भी करते हैं, लेकिन पूरे यूपी में उनका दबदबा नहीं होना उनके लिए परेशानी का सबब है. वहीं, कमलपति त्रिपाठी के वंशज राजेशपति त्रिपाठी और उनके विधायक बेटे ललितेशपति त्रिपाठी भी इस दौड़ मैं हैं, लेकिन वाराणसी के आसपास के क्षेत्रों के बहार उनके पहचान की कमज़ोरी उनके आड़े आ रही है.

तो फिर क्या हो सकता है
पार्टी ने यह तो तय कर लिया कि ब्राह्मण, राजपूत, मुस्लिम, पासी और कुर्मी पर वो दांव लगाएगी. प्लान यह है कि यूपी चुनाव के मद्देनजर अहम ओहदों के साथ ही, अहम कमेटियों का गठन हो, जिसमें खास चेहरों को जगह दिया जाए. इन चेहरों में ब्राह्मण नेताओं के साथ ही राजपूतों में संजय सिंह, दलितों में पी एल पूनिया, स्टार पावर वाले राज बब्बर को महत्वपूर्ण जगह मिलें.

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