कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि भीमा-कोरेगांव प्रतिरोध का प्रतीक है. राहुल ने कहा कि जो कोई भी मोदी-शाह के नफरत भरे एजेंडे का विरोध करता है उसे 'अरबन नक्सल' करार दे दिया जाता है. राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में नरेंद्र मोदी-अमित शाह के लिए अंग्रेजी के MOSH शब्द का इस्तेमाल किया है.
राहुल ने ट्वीट किया, "MOSH के नफरत भरे एजेंडे का जो भी विरोध करता है उसे अरबन नक्सल करार दे दिया जाता है, भीमा-कोरेगांव प्रतिरोध का प्रतीक है जिसे सरकार के एनआई के पिट्ठू कभी खत्म नहीं कर सकते हैं."
Anyone who opposes the MOSH agenda of hate is an “Urban Naxal”.
Bhima-Koregaon is a symbol of resistance that the Government’s NIA stooges can never erase. https://t.co/vIMUSs2pjL
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 25, 2020
केंद्र ने जल्दबाजी में मामले को NIA को भेजा
वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार ने जल्दबाजी में इस मामले को NIA के पास भेज दिया. इसका मतलब यह है कि मैंने जो पत्र में शंका जताई थी कि जो भाषण शनिवारवाड़ा में हुए थे वो अन्याय और अत्याचार के खिलाफ थे, और उसका नक्सलवाद से कोई लेना देना नहीं है. उस समय के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने इस प्रकरण के 3 महीने बाद एक बयान दिया जिसमें उन्होंने भीमा कोरेगांव प्रकरण पर बात की, लेकिन उन्होंने तब भी माओवाद नाम का ज़िक्र नहीं किया जबकि वो खुद गृह मंत्री थे. जो कार्रवाई पुलिस की ओर से की गई है उस समय पीबी सावंत ने मीडिया को एक बयान दिया कि पुलिस ने मेरे नाम पर गलत बयान दिया.
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शरद पवार ने कहा कि इसलिए यह सब के वजह से मैंने इस मामले की दोबारा से जांच करने की मांग करते हुए उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा. मेरी मांग थी कि एक स्वतंत्र जांच हो और सत्य सामने आए. इसका एक पत्र गृह मंत्री को भी भेजा. इसके बाद इस मामले पर और जानकारी के लिए गृह मंत्री ने बैठक भी बुलाई और उसके 4 से 5 घंटों में ही इसे केंद्र सरकार ने अपने एजेंसी को दे दिया.
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एनसीपी प्रमुख ने कहा कि इस मामले की जांच की जिम्मेदारी राज्य और केंद्र सरकार दोनों की है. लेकिन इतनी जल्दबाजी में इसे क्यों NIA को दिया गया? कुछ गलत लोगों को आरोपी बनाया गया है. जांच में यह सब साफ हो जाएगा. इसलिए केंद्र सरकार ने इसे अपने पास ले लिया. सच बाहर आने के लिए जो कदम उठाए गए उसे केंद्रीय गृह मंत्री ने रोक दिया.
असल में, केंद्र सरकार ने भीमा कोरेगांव मामले को एनआईए को सौंप दिया है जिसके बाद विवाद हो रहा है. एनसीपी ने केंद्र के इस फैसले का विरोध किया है.