कांग्रेस के गढ़ वाले असम में अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. माना जा रहा कि पार्टी यहां भी बीजेपी के खिलाफ वही रणनीति अपना सकती है, जो पिछले महीने हुए बिहार विधानसभा में अपनाई गई थी. कांग्रेस असम में भी दूसरी पार्टियों के साथ गठबंधन करने के विचार कर रही है.
असम में अगले साल अप्रैल में चुनाव हो सकते हैं. कांग्रेस के प्रबंधक नई गठबंधन पार्टियों के विकल्प तलाश रहे हैं और माना जा रहा है कि एजीपी और एआईयूडीएफ उनकी सहयोगी पार्टियां बन सकती हैं.
सहयोग पर विचार
कांग्रेस एक तरफ जहां दूसरी पार्टियों के साथ गठबंधन पर विचार कर रही है, वहीं दूसरी ओर उसे ये भी चिंता है कि किसी पार्टी विशेष के सहयोग के चलते उसे अपने बंधे हुए वोटर्स से हाथ न धोना पड़ जाए. बदरूद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ के सहयोग से हिन्दू वोटर कांग्रेस से दूरी बना सकते हैं जबकि कांग्रेस के कुछ स्टेट पार्टी नेत एजीपी से समर्थन लेने के खिलाफ हैं.
असम में स्थिति अलग
असम में एआईसीसी के प्रभारी सीपी जोशी ने से पूछा गया कि क्या प्रदेश में भी बिहार चुनाव का फॉर्मूला अपनाया जाएगा, तो इस पर उन्होंने मेल टुडे से कहा, 'असम में स्थिति अलग है. देखते हैं क्या होता है.' जोशी बिहार में भी एआईसीसी के प्रभारी हैं.
असम में कमजोर पड़ी कांग्रेस
कांग्रेस के अंदरी सूत्रों का कहना है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता हेमंत बिस्व शर्मा के बीजेपी में शामिल होने से असम में कांग्रेस कमजोर पड़ी है. हिमंता के साथ नौ अन्य विधायक भी बीजेपी में शामिल हुए हैं. इससे प्रदेश में पार्टी को नुकसान पहुंचा है.
हालांकि असम कांग्रेस के अध्यक्ष अंजन दत्ता का कहना है कि इससे उनकी पार्टी पर कोई बुरा असर नहीं पड़ा है बल्कि इससे पार्टी और मजबूत बनी है. सूत्रों का कहना है कि 10 नेताओं के दूसरी पार्टी में शामिल होने की वजह से कांग्रेस के अंदर खलबली का माहौल है.
राहुल गांधी ने की चुनौतियों की समीक्षा
हिमंता सहित 10 विधायकों के बीजेपी में शामिल होने की खबर मिलने के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने असम में दो दिन बिताए थे. उन्होंने आने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी को मिलने वाली चुनौतियों के बारे में जानने की कोशिश की. उन्होंने पार्टी के नेताओं को एकजुट रहने की सलाह दी. इतना ही नहीं, उन्होंने मतदाताओं तक पहुंचने और विपक्षी पार्टियों को संदेश देने के लिए एक पैदल यात्रा भी की.
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को शिकस्त
2001 से असम में विधानसभा चुनाव जीत रही कांग्रेस 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ 7 सीटों में तीन पर ही कब्जा जमा सकी थी. उसके बाद से पार्टी को बीजेपी से हारती आ रही है, जिसके चलते हिमंता ने पार्टी छोड़ने का फैसला किया.
बिहार में बीजेपी को करारी शिकस्त
बिहार में पिछले महीने संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जेडीयू और आरजेडी के मिलकर चुनाव लड़ा था. महागठबंधन का उद्देश्य बीजेपी को पछाड़ना था और इन तीनों ने साथ मिलकर बीजेपी को करारी मात दी.