दिल्ली के इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ध्वस्त हो गई. पिछले चुनाव में मिली पराजय से भी नीचे. क्यों हुआ दिल्ली में कांग्रेस का सफाया ? आइए समझते हैं इसकी दस वजह-
01. चुनाव के दिन नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कोई उत्साह नहीं दिखाया. बूथों पर भी कांग्रेसियों में जोश नहीं दिखाई दिया. वोटरों के प्रति अपील करने की कोई इच्छा भी नहीं दिखी. कई बूथों पर तो कांग्रेसी आए भी देर से और कुछ देर रुक कर ही आए.
02. दिल्ली में कई सीटों पर वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया. जिससे कार्यकर्ताओं का हौंसला टूटा.
03. कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन को दिल्ली विधानसभा चुनाव की कमान दी. लेकिन अजय माकन कांग्रेस के दिल्ली मुख्यालय में बैठे ही नहीं. इसका भी गलत संदेश पार्टीजनों के बीच गया.
04. चुनाव की तारीख का ऐलान हो जाने के बाद भी प्रचार में कांग्रेस के बड़े नेता नहीं आए. प्रचार में पहले दिन से ही विधानसभा वार जिन्हें दिखना था वो खानापूर्ति करते रहे. यहां तक कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रचार के आखरी दौर में कुछ सभाएं कीं.
05. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का विश्लेषण हो जाने के बाद भी पार्टी ने सबक नहीं लिया. दिल्ली के चुनाव प्रभारी पीसी चाको ने चुनाव के लिए जो रणनीति बनाई वो कमजोर साबित हुई. कार्यकर्ताओं को दिल्ली चुनाव की रणनीति के बारे में पता ही नहीं चला.
06. इस विधानसभा चुनाव में पार्टी नेताओं ने जनता और पहले कार्यकर्ताओं से मजबूत संवाद नहीं किया. उन्हे विश्वास में नहीं लिया. संदेश गया कि कांग्रेस ने चुनाव लड़ने से पहले ही हार मान ली.
07. दिल्ली में टिकटों का बंटवारा करने से पहले विधानसभा स्तर पर कार्यकर्ताओं की राय नहीं ली गई. जो कि उम्मीदवारों के चयन में अहम मानी जाती. अच्छी और साफ छवि के उम्मीदवारों को चुनने की कोशिश ही नहीं की गई.
08. दिल्ली के अनुभवी जानकार नेताओं की कमी कार्यकर्ताओं को खलती रही. जनता के भरोसेमंद नेताओं की अनदेखी की गई. चुनाव प्रभारी पीसी चाको ने टीम बनाते वक्त इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया. अजय माकन सभी से संवाद कर पाने में नाकाम रहे.
09. चुनाव में ऐसे कई पार्टी नेताओं को टीम में रख लिया गया जो अति-आत्मविश्वास में थे. जो केवल पार्टी के आला नेताओं के सामने बातें तो करते रहे पर क्षेत्र में चुनाव के लिए काम नहीं किया. कई तो ऐसे थे जिन्हे विधानसभा क्षेत्र की जानकारी ही नहीं.
10. कांग्रेस ने अपनी सरकारों के कार्यकाल में दिल्ली में किए गए विकास कार्यों का बखान ही ठीक से नहीं किया. प्रचार में लगे कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं को मौके के हिसाब से बयान और जवाब देने की सही ट्रेनिंग तक नहीं दी गई.