2014 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की रैलियों में 'मोदी-मोदी' और 'हर हर मोदी' के नारे खूब गूंजे. रैली में गूंजते इन नारों की सफलता ही थी कि, चुनाव नतीजों के बाद मोदी जीतकर देश के प्रधानमंत्री बने.
2014 के बाद अब 2019 के लोकसभा चुनावों का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. मोदी से टकराने के लिए कांग्रेस ने भी कमर कस ली है. नारों की लड़ाई में कांग्रेस ने अपने नए अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए मोदी का जवाब भी तलाश लिया है. सूत्रों की मानें तो पार्टी ने तय किया है कि, 'हर हर मोदी' और 'मोदी-मोदी' का जवाब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की रैलियों में 'राहुल-राहुल' के साथ 'बोल बम' से दिया जाएगा. अब से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की रैलियों और बड़े रोड शो जैसे कार्यक्रमों में राहुल-राहुल के साथ ही जोर-शोर से बोल बम भी गूंजेगा.
दरअसल, 2014 की बड़ी हार के बाद कांग्रेस ने समीक्षा के लिए एके अंटोनी के नेतृत्व में कमेटी बनाई, जिसने रिपोर्ट में कांग्रेस की प्रो-मुस्लिम छवि को भी इसकी बड़ी वजह बताया. इसके बाद धीरे-धीरे राहुल ने पार्टी की छवि को बदलने के लिए तमाम जतन किए. मंदिर-मंदिर दर्शन करने वाले राहुल को पार्टी की तरफ से जनेऊधारी ब्राह्मण तक बताया गया.
इसके बाद उड़ान के दौरान विमान में आई गड़बड़ी से जब जान पर बन आई तो खुद राहुल ने बताया कि, ऐसे में उनको भगवान शिव की याद आई और उन्होंने कैलाश मानसरोवर की यात्रा में जाने का मन बनाया. जिसके बाद राहुल ने हाल में मानसरोवर यात्रा पूरी भी की. यात्रा पूरी करके राहुल मध्य प्रदेश के चुनावी समर में गए तो शिवभक्त राहुल के पोस्टरों ने बता दिया कि, कांग्रेस किस तरह आगे चुनावी जंग में मोदी से टकराएगी.
इसी के बाद राहुल-राहुल के साथ 'बोल बम' का नारा तय हुआ जिससे 'मोदी-मोदी' और 'हर हर मोदी' से टक्कर ली जा सके और कार्यकर्त्ताओं के साथ ही जनता में जोश पैदा किया जा सके. सूत्रों की मानें तो राहुल की आने वाली रैलियों में पार्टी का नया सियासी बम 'बोल बम' जमकर गूंजेगा.