आंध्र प्रदेश के प्रभारी महासचिव दिग्विजय सिंह ने माना है कि मानसून सत्र के पहले तेलंगाना मुद्दे पर पार्टी ठोस और अंतिम फैसला ले सकती है. जुलाई 12 को होने वाली कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक के लिये आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री दोनों को दिल्ली बुलाया गया है. इसी के चलते राजधानी में सरगर्मियां अचानक काफी तेज़ हैं.
दरअसल, तेलंगाना ने आंध्र प्रदेश में कांग्रेस का तेल निकाल कर रख दिया है. केन्द्र और राज्य दोनों ही जगह कांग्रेस की सरकार है. इसके बावजूद पिछले नौ साल से पार्टी आलाकमान इस मुद्दे को लगातार लटकाकर रखे हुए है. साफ है कि आलाकामान तेलंगाना की गले की हड्डी को निगलने के मूड कभी बना ही नहीं सकी. लेकिन एक बार फिर चुनाव सिर पर आ चुके हैं और ऐसे में छात्र आंदोलन से लेकर सड़कों पर भारी मारा मारी देख चुकी आंध्र प्रदेश की कांग्रेस सरकार के लिये करो या मरो की स्थिति है.
दिग्विजय सिंह की पहल पर ही कोर ग्रुप की बैठक में पहली बार तेलंगाना के मुद्दे पर बारीकी से चर्चा करने की खातिर ही रायलसीमा से आने वाले सीएम किरण कुमार रेडडी और तेलंगाना से आने वाले उपमुख्यमंत्री डी राज नरसिम्हा को खासतौर पर बुलाया गया है. ताकि पार्टी नफे और नुकसान का ठोस आंकलन भी कर सके.
आजतक से खास बातचीत में दिग्विजय सिंह ने कहा कि 'तेलंगाना के मुद्दे पर आंध्र प्रदेश को विभाजित करे या नहीं करे इस पर अब फैसला लेने का वक्त आ चुका है. इस मुद्दे को ज्यादा लटकाया नहीं जा सकता. इसीलिये 12 जुलाई की बैठक में आंध्र प्रदेश के नेताओं के अलावा प्रदेश के पूर्व प्रभारी गुलाम नबी आज़ाद को भी न्यौता दिया गया है. और संसद के मानसून सत्र के पहले उम्मीद करनी चाहिये कि कुछ कदम उठाये जा सकते हैं.' हालांकि दिग्विजय सिंह ने ये खुलासा नहीं किया कि उनकी खुद की इस बारे में क्या राय है.
तेलांगना से आने वाले कांग्रेस के सांसदों ने भी बैठकों का दौर शुरु कर दिया है. इनको लगता है कि जल्द ही इनके हक में आलाकमान फैसला लेगा. सांसद मधु याक्सी गौड़ा ने आजतक से कहा कि उनको सोनिया गांधी पर भरोसा है जब वो प्रजा की मांग का तर्क देते हुए प्रधानमंत्री का पद त्याग कर सकती है तो वो कैसे तेलंगाना की मांग करने वाले लाखों समर्थकों को नाराज कर पायेंगीं. मधु के एक और साथी पुन्नम प्रभाकर ने धमकी भरे अंदाज में कहा 'अगर आलाकमान हमारी बात नहीं मानती है तो ना मानें, हम तो भले ही शांत हो जायें. लेकिन तेलंगाना की जनता अब चुप नहीं बैठेगी.'
कांग्रेस आलाकमान की तेलंगाना में दिलचस्पी को देखकर संयुक्त आंध्र की पैरवी करने वाले नेताओं ने भी दिग्विजय सिंह के घर के चक्कर लगाने शुरू कर दिये हैं. केन्द्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री डी पुरुन्देश्वरी ने अपनी इसी राय को दोहरा भी दिया है. वो भी बुधवार को दिग्विजय सिंह से करीब आधे घंटे की मुलाकात कर चुकी है.
राज्य में वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगन मोहन रेड्डी की लोकप्रियता लगातार बढ रही है. और वो धड़ा अब पार्टी के साथ भी नहीं है. ऐसे में लोकसभा की 33 सीटों के अपने प्रदर्शन को दोहरा पाना कांग्रेस को आसान नहीं दिख रहा है. तभी पार्टी का एक धड़ा तेलांगना को अलग करने का राग अलापे हुये है ताकि कम से कम इस इलाके की 17 सीटों पर तो कांग्रेस की दावेदारी मज़बूत हो सके. इसी ऊहापोह को अब आलाकमान को हल करना है.