गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर यूपीए सरकार पर निशाना साधा. मोदी ने कांग्रेस पर शब्दबाण छोड़ते हुए कहा कि अगर उन पर खुद नहीं गुजरती तो उन्हें कभी पता ही नहीं चलता कि सरकार सीबीआई का इतना दुरुपयोग करती है.
मोदी ने गुरुवार को कहा कि यूपीए सरकार सरकारी संस्थाओं का अवमूल्यन कर रही है और आईबी के खिलाफ सीबीआई को खड़ा कर रही है. मोदी ने कहा, ‘सीबीआई का दुरुपयोग करके आप देश के ढ़ांचे को खत्म कर रहे हो. हमारे कांग्रेस के मित्र इसे नहीं समझते क्योंकि इसमें उनके खुद के हित जुड़े हैं.’
उन्होंने कहा, ‘अब सीबीआई आईबी से पूछताछ कर रही है. वह यह पूछ रही है कि उनके मुखबिर कौन हैं. सीबीआई का दुरुपयोग इतना ज्यादा किसी ने नहीं किया. मेरे ऊपर नहीं गुजरती तो मुझे पता ही नहीं चलता कि सीबीआई का इतना दुरुपयोग करती है सरकार.’
नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘अगर जमीन से जुड़ा हुआ राजनीतिक नेतृत्व इच्छाशक्ति और दृष्टिकोण के साथ आता है तो इसे कोई नौकरशाह नहीं रोक सकता.’ मोदी ने कहा, ‘आज केंद्र सरकार उन राज्यों के साथ एक तरह से युद्ध लड़ रही है जिन्हें वह पसंद नहीं करती. वे गुजरात सरकार को पसंद नहीं करते, इसलिए उन्होंने क्या किया? वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन में भाग लेने वाले निवेशकों को आयकर विभाग ने नोटिस भेज दिया.’
उन्होंने कहा, ‘नेहरू के समय में योजना आयोग का गठन किया गया था. अब इन्होंने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का गठन कर दिया है. अब एक प्रधानमंत्री आधिकारिक प्रधानमंत्री से कहता है कि कुछ करो तो आधिकारिक प्रधानमंत्री इसे करता है.’
बीजेपी की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष बने मोदी ने कहा, ‘व्यवस्था को व्यक्ति केंद्रित नहीं होना चाहिए. क्या एक परिवार इधर-उधर हो गया तो यह देश डूब जाएगा?’ उन्होंने कहा, ‘सुशासन की पहली जरूरत यह है कि जो लोग सरकार में हैं उन्हें जनता में विश्वास होना चाहिए. उनकी भूमिका एक अभिभावक की होना चाहिए न कि मालिक की.’
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र एक ‘कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम’ नहीं है जहां हर पांच साल में मतपत्र के जरिये अनुबंध का नवीनीकरण हो. गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘कुछ लोग सोचते हैं कि राम राज्य के बारे में बात करने से धर्मनिरपेक्षता खतरे में पड़ जाएगी.’ उन्होंने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा 26 जून 1975 को इमरजेंसी लागू किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि इसने लोकतंत्र को दबा दिया था.
मोदी के मुताबिक, ‘इमरजेंसी हमारे अधिकार छीनने का एक प्रयास था. देश की आत्मा कुचल दी गई थी.’ उन्होंने कहा, ‘वर्ष 1983 में चुनाव आयुक्त ने कहा था कि असम में चुनाव कराने के लिए अनुकूल स्थिति नहीं है. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस पर ध्यान नहीं दिया और राजनीतिक लाभ लेने के लिए चुनाव कराए. नतीजा भारत में सबसे बड़े नरसंहार ‘नेल्ली नरसंहार’ के रूप में मिला.’