रसोई गैस की कीमतों में हर महीने 4 रुपए का इजाफा करने के सरकार के फैसले पर मंगलवार को विपक्ष ने संसद में जमकर हंगामा किया. इस मुद्दे पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और लेफ्ट समेत तमाम विपक्षी पार्टियां राज्यसभा में
एकजुट हो गई और सरकार पर गरीब विरोधी होने का आरोप लगाते हुए खूब हंगामा किया. दरअसल सोमवार को पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में एक लिखित सवाल का जवाब देते हुए बताया था कि इस साल जून के महीने से अगले साल मार्च तक सरकार ने तेल कंपनियों को हर महीने रसोई गैस के सिलेंडर की कीमत में चार रुपए बढ़ाने को कहा है. सरकार का मकसद यह है की धीरे धीरे रसोई गैस के सिलेंडर पर सब्सिडी को पूरी तरह खत्म कर दिया जाए.
मंगलवार को इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ एकजुट होते हुए विपक्ष ने यह सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर करोड़ों संपन्न लोगों ने खुद से रसोई गैस के सिलेंडर पर सब्सिडी लेना बंद कर दिया. इसे सरकार को जो बचत हुई उससे गरीबों को रसोई गैस की कीमत में रियायत भी जा सकती थी. लेकिन सरकार अब अपने वादे से मुकरते हुए गरीबों के लिए दी जाने वाली सब्सिडी भी छीन रही है.
राज्यसभा में यह मामला तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने उठाया और उन्होंने कहा कि सरकार गरीबों से भी सब्सिडी छीनने में जुटी है. इसके बाद डेरेक ओ ब्रायन के समर्थन में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और लेफ्ट पार्टियां भी उतर आई और राज्यसभा के वेल में जाकर हंगामा किया. सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार को इस गरीब विरोधी फैसले को फौरन वापस लेना चाहिए. सीपीएम के ही तपन सेन ने कहा कि सरकार के इस फैसले से गरीब लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल ने कहा यह मुनाफाखोरों की सरकार है. तो वहीं जेडीयू के शरद यादव ने कहा कि जब संसद का सत्र चल रहा है तो सरकार को इस फैसले की जानकारी पहले सदन को देनी चाहिए थी.
उपसभापति पीजे कुरियन ने कहा कि इस मामले पर चर्चा कराने को तैयार हैं, बावजूद इसके विपक्षी सदस्यों ने इस मामले पर इतना हंगामा किया कि सदन को 10 मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा. राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब दुनिया में तेल की कीमतें सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है तो ऐसे वक्त में सरकार गैस सिलेंडर के दाम बढ़ाकर गरीबों की जान लेने पर लगी है.
विपक्ष के हंगामे के बीच पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जवाब देने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि रसोई गैस की कीमतें बढ़ाने का फैसला सिर्फ बीजेपी सरकार का नहीं है. उन्होंने हंगामा कर रहे विपक्षी सांसदों को याद दिलाने की कोशिश की जून 2010 में जब यूपीए की सरकार थी तब गैस की कीमतों के बारे में एक मंत्री समुह का गठन किया गया था, जिसके अध्यक्ष तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी थे. इस समिति में शरद पवार, ममता बनर्जी, कमलनाथ, अलागिरी समेत विपक्ष के कई नेता मौजूद थे. इस समिति ने भी उस वक्त रसोई
गैस की कीमत में 35 रूपय इजाफा करने को कहा था और साथ ही यह भी सलाह दी थी कि धीरे-धीरे करके रसोई गैस की कीमतों को बढ़ाया जाए ताकि सब्सिडी खत्म हो सके. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि उनकी सरकार ने रसोई गैस कनेक्शन की संख्या 16 करोड़ से बढ़ाकर 21 करोड़ कर दी है और दो करोड़ 60 लाख लोगों को उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त में गैस सिलेंडर दिए गए. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा की सब्सिडी सिर्फ गरीब लोगों के लिए है और अमीर लोगों के लिए सब्सिडी धीरे धीरे कर के खत्म कर दी जाएगी. फिलहाल रसोई गैस की एक सिलेंडर पर 87 रुपए की सब्सिडी है.