मॉनसून सत्र के दूसरे दिन केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा को विपक्ष के विरोध का सामना करना पड़ा. जयंत सिन्हा एक सवाल का जवाब देने के लिए खड़े हुए और जैसे ही उन्होंने बोलना शुरू किया पूरा विपक्ष उनके विरोध में खड़ा हो गया.
विरोध के दौरान कांग्रेस नेता सदन के वेल में जा पहुंचे और वहां से नारे लगाने लगे, 'जेल में जाना बंद करो, आरोपियों को माला पहनाना बंद करो.' इस विरोध में कांग्रेस का उसके सहयोगी दलों ने भी साथ दिया. तृणमूल कांग्रेस के साथ साथ विपक्षी दल के नेताओं ने भी जयंत सिन्हा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
सदन में कांग्रेस नेताओं समेत पूरा विपक्ष जयंत सिन्हा द्वारा मॉब लिंचिंग के दोषियों को माला पहनाने का विरोध कर रहे थे. दरअसल, मॉब लिंचिंग के दोषियों को जमानत मिलने पर न सिर्फ जयंत सिन्हा ने उनका स्वागत किया था बल्कि बीजेपी कार्यालय में इसका जश्न मनाया गया था. इन दोषियों की रिहाई के लिए लगातार आंदोलन करने वाले पूर्व विधायक शंकर चौधरी ने बीजेपी कार्यालय पर ही प्रेस कॉन्फ्रेंस की और जमानत मिलने पर खुशी का इजहार किया था. उन्होंने कहा था कि वो कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं.
जयंत जता चुके हैं खेद
झारखंड में लिंचिंग के आरोपियों को सम्मानित करने के मामले में केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने अपनी गलती मानते हुए 11 जुलाई को खेद जताया था. उन्होंने पहले मामले में सफाई दी थी, लेकिन जब बात नहीं बनी और विवाद बढ़ा, तो अब उन्होंने खेद जताया है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा था, 'मैंने कई बार कहा कि यह मामला सब-जुडिस है. इस मसले पर लंबी चर्चा करना सही नहीं होगा. सभी को न्याय मिलेगा और दोषियों को सजा मिलेगी. जो निर्दोष हैं, उनको न्याय जरूर मिलेगा. जहां तक माला पहनाने का मामला है, तो इससे गलत इम्प्रेशन गया है. इसका मुझे खेद और दुख है.'
क्या है पूरा मामला
29 जून 2017 को झारखंड के रामगढ़ में भीड़ ने मीट व्यापारी अलीमुद्दीन अंसारी की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. अलीमुद्दीन अपनी वैन से मांस लेकर आ रहा था. वैन में बीफ होने के शक में कुछ लोगों ने उसे पकड़ लिया था. उन लोगों ने पहले उसकी गाड़ी को आग लगाई और फिर अलीमुद्दीन को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया. घटना के बाद इलाके में तनाव बढ़ गया था. दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आश्वासन के बाद ही अलीमुद्दीन का परिवार शव लेने को तैयार हुआ था.
इस हत्याकांड में 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. वहीं, एक नाबालिग भी इसमें शामिल है, जिसे बाल सुधार गृह भेजा गया. कोर्ट में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता बीएन त्रिपाठी द्वारा दिए गए साक्ष्य और बहस को मानते हुए कोर्ट ने हत्या के दौरान बनाए गए वीडियो फुटेज को सबूत मानने से इनकार कर दिया. इस वजह से 8 लोगों को जमानत मिल गई. 3 लोगों की जमानत के लिए अर्जी नहीं लगाई गई थी. इस वजह से उन्हें जमानत नहीं मिल सकी थी.