केन्द्रीय मंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर के सत्ताधारी नेकां-कांग्रेस गठबंधन में कोई दरार नहीं है और यह अपना कार्यकाल पूरा करेगा. साथ ही उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य वापसी की संभावना से इंकार किया.
अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर के घटनाक्रम के लिए मीडिया को भी अपना निशाना बनाया और आरोप लगाया कि वह अटकलों को बहुत बढ़ावा देता है.
नेशनल कांफ्रेंस के 72 वर्षीय नेता ने कहा कि विवादास्पद सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम को एक मिनट में वापस लिया जा सकता है लेकिन ऐसा फैसला करने से पहले इसके हर पहलू पर गौर किया जाना चाहिए.
तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे अब्दुल्ला ने अपने पुत्र और मुख्यमंत्री को अपना समर्थन देते हुए कहा, ‘राज्य की मौजूदा स्थिति को देखते हुए मैं नहीं समझता कि उमर से अच्छा काम कोई दूसरा कर सकता है.’
उन्होंने करन थापर के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘दुनिया की सभी राजधानियों में काफी अटकलें लगायी जाती हैं. यहां भी अटकलें हैं और मीडिया अटकलों को काफी प्रोत्साहित करता है. वे अटकलों पर अपने चैनल चलाते हैं. इन (अटकलों) की कोई विश्वसनीयता नहीं है.’
अब्दुल्ला ने नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के बीच मतभेदों के बारे में पूछे एक सवाल के जवाब में कहा, ‘कोई तनाव नहीं है. कभी भी नहीं.’ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य में वापस नहीं जाएंगे.{mospagebreak}
अब्दुल्ला ने उम्मीद जतायी कि जम्मू कश्मीर में सोमवार को आ रहे प्रतिनिधिमंडल को अपने दौरे से कोई हल निकालने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि अगर दल अलगाववादियों से मुलाकात नहीं करेगा तो उन्हें इससे कोई परेशानी नहीं होगी.
उन्होंने कहा, ‘खुदा के लिए बताइये कि आखिर अलगाववादी क्या चाहते हैं? क्या आप पाकिस्तान को कश्मीर देने की कोशिश कर रहे हैं? क्या आप जनमत संग्रह कराने के लिए तैयार हैं? क्या आप उन्हें आजादी देने जा रहे हैं?’
अब्दुल्ला ने कहा, ‘हम इस देश का अंग हैं. आप इस बात को अपने मन में बैठा लें और वे लोग भी जो कुछ और सोच रहे हैं. क्या आपने पहले संकट नहीं देखे? आप क्या बात कर रहे हैं? क्या यह नयी बात है?’
सर्वदलीय बैठक के नतीजे और राज्य में यथास्थिति के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा, ‘आप यह क्यों कह रहे हैं कि वहां यथास्थिति है? आखिरकार यह बात सरकार को सोचनी है. यह कोई साधारण बात नहीं है. दोनों (एएफएसपीए और राज्य को स्वायत्तता) राष्ट्रीय महत्व के (मुद्दे) हैं.’{mospagebreak}
उन्होंने कहा, ‘इस दुनिया में कुछ भी सीधा सपाट नहीं होता. राजनीति में कुछ चीजें होती हैं जो समय लेती हैं. प्रतिनिधिमंडल जाने वाला है. वे हालात का जायजा लेंगे. मुख्यमंत्री उन्हें जानकारी देंगे. अन्य लोग उनसे चर्चा करेंगे और इसका नतीजा अच्छा ही होगा.’
एएफएसपीए वापस लेने के बारे में पूछे सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, कोई भी फैसला करने से पहले सभी बातों पर विचार किया जाना जरूरी है.
नेकां अध्यक्ष ने कहा, ‘वे (सेना) पाकिस्तान के साथ लगी सीमा पर हालात का सामना करते हैं. वे चीन के साथ भी हालात का सामना करते हैं. सभी बातों पर विचार किया जाना चाहिए. हमारे यहां उग्रवाद भी है जो समय समय पर सामने आता रहता है. इन सभी बातों पर विचार किया जाना होगा. आप देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते.’