कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि उसे गुरुवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान किसी भी अविश्वास प्रस्ताव से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन पार्टी ने संकेत दिया कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई समेत किसी भी मुद्दे पर वह मत विभाजन वाले नियम के तहत चर्चा कराने पर सहमत नहीं होगी.
कांग्रेस में इस तरह की चर्चा है कि चर्चा के दौरान मत विभाजन से यूपीए के घटक दल द्रमुक और बाहर से सहयोग दे रही समाजवादी पार्टी को बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर सरकार का समर्थन करने में कठिनाई पैदा हो सकती है.
दोनों ही पार्टियां इस फैसले के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा चुकी हैं और इनमें से कोई भी एफडीआई के विरुद्ध वोट देता है तो सरकार के लिए यह परेशानी वाली बात होगी हालांकि इससे सरकार के अस्तित्व पर किसी तरह के खतरे की संभावना नहीं दिखाई देती.
कांग्रेस के प्रवक्ता पी सी चाको ने कहा, ‘खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर वोटिंग की बात कहां है? मुझे नहीं पता. नियम और परंपराएं बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. परंपरा यह है कि ऐसे मुद्दों को मत विभाजन के लिए नहीं रखा जाता.’
चाको से पूछा गया था कि क्या कांग्रेस एफडीआई के मुद्दे पर बीजेपी और वाम दलों की मांग के अनुरूप नियम 184 के तहत चर्चा कराने के लिए तैयार है जिसमें मत विभाजन का प्रावधान है.
चाको ने यह भी कहा कि अगर कोई अविश्वास प्रस्ताव लाता है तो उनकी पार्टी इसका स्वागत करेगी. उन्होंने कहा, ‘विपक्ष को वोटिंग पर जोर नहीं देना चाहिए. अगर उन्हें अब भी लगता है कि सरकार ने कुछ गलत किया है और उसे सजा मिलनी चाहिए तो वे अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं.’
चाको ने बीजेपी के प्रकाश जावड़ेकर और राजीव प्रताप रूड़ी द्वारा केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा के खिलाफ दिये गये विशेषाधिकार हनन नोटिसों को भी बेकार की कवायद बताया.
बीजेपी नेताओं ने इस संदर्भ में नोटिस दिये हैं कि शर्मा ने संसद को आश्वासन दिया था कि एफडीआई के मुद्दे पर फैसला लेने से पहले सभी पक्षों से विचार विमर्श किया जाएगा.
बीजेपी का कहना है कि संसद के दोनों सदनों में वादा करने के बाद सरकार ने एकपक्षीय तरीके से एफडीआई पर फैसला लिया. चाको ने बीजेपी से अनुरोध किया कि संसद के पिछले दो सत्रों की तरह कार्रवाई बाधित नहीं की जाए और शीतकालीन सत्र को चलने दिया जाए ताकि सरकार लोकपाल समेत कुछ अहम विधेयकों को पारित कर सके.
उन्होंने कहा, ‘लोकतांत्रिक व्यवस्था में कैबिनेट कुछ फैसले लेने में सक्षम होती है. कुछ कार्यकारी फैसले होते हैं जिनमें संसद में मतदान नहीं होता.’