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गोवा कांग्रेस का दावा, हमारे पास है जादुई आंकड़ा, बनाएंगे सरकार

गोवा के कांग्रेस प्रभारी की मानें तो उनकी पार्टी ने गठबंधन के सारे दरवाजे खोल दिए हैं और बीजेपी के विधायकों से संपर्क भी है जो कांग्रेस का समर्थन कर सकते हैं.

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कांग्रेस का चुनाव चिन्ह
कांग्रेस का चुनाव चिन्ह

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गोवा में गठबंधन की सरकार बनाने के लिए कांग्रेस ने अपने सारे दरवाजे खोल दिए हैं. कांग्रेस विधायकों ने अभी हाल में राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने के लिए ज्ञापन दिया था. कांग्रेस हालांकि बार-बार यह बात दोहरा रही है कि उसके पास विधायकों की पर्याप्त संख्या है लेकिन उसे इस बात का भी डर है कि कहीं उसके विधायक बीजेपी के झांसे में आकर 'खरीद-फरोख्त' का शिकार न हो जाएं.

टीवी टुडे से बात करते हुए गोवा कांग्रेस के प्रभारी चेल्लाकुमार ने कहा, हमारे पास विधायकों की पर्याप्त संख्या है. हमें पूरा भरोसा है कि गोवा में कांग्रेस की सरकार बनेगी. पिछले कई दिनों से कई विधायक हमारे संपर्क में हैं क्योंकि वे बीजेपी में घुटन महसूस कर रहे हैं. मैं उनका नाम नहीं बता सकता लेकिन हमारे पास जादुई आंकड़ा है.

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एक इंटरव्यू में चेल्लाकुमार गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) से संभावित गठबंधन की ओर इशारा कर चुके हैं. हालांकि उन्होंने जीएफपी का खुलकर नाम नहीं लिया. चेल्लाकुमार ने कहा, 'कुछ नेताओं ने हमें बीजेपी की बी टीम बोलकर बदनाम किया लेकिन अब उन्हें अपनी गलती सुधार लेनी चाहिए. इसमें कोई शक नहीं कि हमारे लिए दरवाजे खुले हैं लेकिन हम गोवा की भलाई और अपनी विचारधारा से समझौता नहीं कर सकते.'

चेल्लाकुमार ने कहा कि कांग्रेस इस इंतजार में है कि राज्यपाल हमें बुलाएं क्योंकि हमने उन्हें ज्ञापन सौंपा है. राज्यपाल ने हमें चार दिन का वक्त दिया है. पिछले चुनाव में कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्याबल होने के बावजूद राज्यपाल ने नहीं बुलाया लेकिन इस बार हमें आमंत्रण का पूरा भरोसा है. उन्होंने कहा, 'हमने राज्यपाल से आग्रह किया है कि विधानसभा भंग न की जाए. कांग्रेस गोवा में सबसे बड़ी पार्टी है और उसे पिछली बार दावा पेश करने का मौका नहीं दिया गया है. बीजेपी को जिन-जिन पार्टियों ने समर्थन दिया, उन्होंने लिखित रूप में कहा कि वे मनोहर पर्रिकर को व्यक्तिगत तौर पर समर्थन दे रहे हैं, न कि बीजेपी को.'

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि गोवा फॉरवर्ड पार्टी कांग्रेस के साथ कैसे 'मोल-तोल' करती है क्योंकि पिछले चुनाव में इस पार्टी ने बीजेपी के खिलाफ वोट मांगा लेकिन बाद में उसी के साथ गठबंधन कर बैठी. जीएफपी को लोगों के बीच यह छवि सुधारने के मौके के रूप में भी देखा जा रहा है.

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