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मक्का मस्जिद: कांग्रेस बोली- हमने या राहुल गांधी ने कभी नहीं कहा 'भगवा आतंकवाद'

कांग्रेस प्रवक्ता पी एल पुनिया ने कहा कि आतंकवाद एक आपराधिक मानसिकता है और इसे किसी धर्म या समुदाय से नहीं जोड़ा जा सकता.

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कांग्रेस नेता पीएल पुनिया
कांग्रेस नेता पीएल पुनिया

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मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस में सभी आरोपियों के बरी हो जाने के बाद कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही है. जबकि बीजेपी हमलावर है और कांग्रेस पर तुष्टीकरण का आरोप लगा रही है. साथ ही बीजेपी ने इस केस के सहारे कांग्रेस पर हिंदुओं को बदनाम करने का आरोप भी लगाया है. हालांकि, कांग्रेस के ज्यादातर पार्टी नेता इस मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन पीएल पुनिया ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि कांग्रेस पार्टी या राहुल गांधी ने कभी भगवा आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है.

भगवा आतंकवाद कुछ नहीं होता

उन्होंने कहा कि 'भगवा आतंकवाद' कुछ नहीं होता है. कांग्रेस का पुरजोर विश्वास है कि आतंकवाद को किसी धर्म या समुदाय से नहीं जोड़ा जा सकता. उन्होंने साफ किया कि राहुल गांधी या पार्टी ने कभी 'भगवा आतंकवाद' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया.

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गौरतलब है कि 2007 के मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में दक्षिणपंथी संगठन के कार्यकर्ता असीमानंद और चार अन्य को सोमवार को एनआईए की अदालत ने बरी कर दिया है. जिसके बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि विपक्षी दल ने 'भगवा आतंकवाद' शब्द का इस्तेमाल कर हिंदुओं को अपमानित किया था और राहुल गांधी को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए. इसके बाद कांग्रेस की प्रतिक्रिया आई.

आतंकवाद एक आपराधिक मानसिकता

कांग्रेस प्रवक्ता पीएल पुनिया ने कहा कि आतंकवाद एक आपराधिक मानसिकता है और इसे किसी धर्म या समुदाय से नहीं जोड़ा जा सकता. कांग्रेस नेता ने कहा, 'यह केवल बकवास है. भगवा आतंकवाद जैसा कुछ नहीं कहा गया. हमारा पुरजोर विश्वास है कि आतंकवाद को किसी धर्म या समुदाय या जाति से नहीं जोड़ा जा सकता. यह आपराधिक मानसिकता है जिससे आपराधिक गतिविधि होती है और इसे किसी धर्म या समुदाय से नहीं जोड़ा जा सकता.'

राहुल ने नहीं की कोई टिप्पणी

अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी का दौरा कर रहे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है. वहीं, पुनिया ने कहा कि वे पहले फैसले का अध्ययन करेंगे और फिर इस पर बात करेंगे.

उन्होंने कहा, 'हालांकि शुरूआती खबरों में कहा गया है कि सबूत नहीं दिए गए और इकबालिया बयान तथा अन्य दस्तावेज गुम हैं. अभियोजन पक्ष की नाकामी लगती है. फैसला आने के बाद बात करना सही होगा.'

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