कांग्रेस ने एक बार फिर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को हटाने की मांग की है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि उनकी कंपनी द्वारा किया गया वित्तीय लेन देन लाभ पहुंचाने की दागदार कथा, नियमों का घोर उल्लंघन और हितों का टकराव है. हालांकि बीजेपी ने इन आरोपों को आधारहीन करार देते हुए खारिज कर दिया है.
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने दावा किया कि नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्री का पदभार संभालने के चार महीने बाद गोयल ने फ्लैशनेट इन्फो सॉल्यूशन्स (इंडिया) लिमिटेड की अपनी पूरी हिस्सेदारी पीरामल ग्रुप को बेच दी. फ्लैशनेट का स्वामित्व गोयल और उनकी पत्नी के पास था.
कंपनी को करीब 1,000 प्रतिशत प्रीमियम पर बेचा गया
कांग्रेस नेता ने कहा कि पूरी हिस्सेदारी पीरामल समूह की कंपनी को करीब 1,000 प्रतिशत प्रीमियम पर बेचा गया. कांग्रेस नेता ने पीरामल एस्टेट्स प्राइवेट लि. द्वारा घोषित सूचनाओं का हवाला देते हुए यह दावा किया. वहीं, पीरामल एस्टेट्स प्रा. लि. ने कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया है.
निजी फायदे के लिए किया शक्तियों का दुरुपयोग
पीटीआई (भाषा) के मुताबिक खेड़ा ने आरोप लगाया कि गोयल ने मंत्री बनने के तुरंत बाद पीएमओ की वेबसाइट पर अपनी संपत्ति में इसका जिक्र नहीं किया. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यह कोई गुप्त बात नहीं है कि पीयूष गोयल ने हर बड़े कॉरपोरेट हाउस का दरवाजा प्रधानमंत्री मोदी के लिए खुलवाया है. फिर कैसे प्रधानमंत्री इस मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, जो रंगे हाथ पकड़े गए हैं और 48 करोड़ रूपये के निजी फायदे के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है.
क्या पीएम मोदी जनता को देंगे जवाब
पीरामल एस्टेट्स प्रा. लि. ने एक बयान में कहा कि इसने फ्लैशनेट इंफो साल्यूशंस प्रा. लि. (फ्लैशनेट) जुलाई 2014 में खरीदी थी. बयान में कहा गया है कि यह आरोप कि यह लेनदेन पीरामल ग्रुप को अनुचित फायदा पहुंचाने के लिए किया गया, पूरी तरह से बेबुनियाद है. खेड़ा ने कहा, प्रधानमंत्री नारे लगाते हैं कि न खाऊंगा और न खाने दूंगा. क्या प्रधानंमत्री इस बात का जवाब देंगे कि क्यों उनके पसंदीदा कैबिनेट मंत्री और कर्नाटक प्रभारी के तौर पर पीयूष गोयल और उनकी पत्नी ने मिलकर संदेहास्पद वित्तीय लेन देन किया. क्या वह भारत की जनता को इसका जवाब देंगे.
बीजेपी ने आरोपों को किया खारिज
वहीं बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए एक बयान जारी करके कहा कि पिछले माह कांग्रेस पार्टी ने पीयूष गोयल के वैध व्यापारिक लेन देन के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण आरोप लगाते हुए उन्हें निशाना बनाया था. बिना ठोस तथ्यों के और केवल झूठे विवाद पैदा करने की मंशा से चलाए गए आधारहीन अभियान का लक्ष्य राजनीतिक लाभ लेना है.