कांग्रेस भी धीरे-धीरे गाय की शरण में उतरती जा रही है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने गायों के लिए त्वरित सेवा व्हिकल निकाला है. इसके जरिए बीमार और घायल गाय को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी. अभी तक गाय पर बीजेपी का राजनीतिक एकाधिकार जैसा था लेकिन अब कांग्रेस भी मैदान में आ गई है.
कांग्रेस की दलील है कि गायों को लेकर बीजेपी सिर्फ राजनीति कर रही है. जबकि कांग्रेसी आदमी शुरू से गोपालक रहा है. तर्क है कि नेहरू जी जमाने में बैल जोड़ी कांग्रेस का चुनाव चिन्ह था. जबकि इंदिरा गांधी के कार्यकाल में गाय बछड़ा. गौरतलब है कि राज्य में वर्ष 2018 में विधान सभा चुनाव होने हैं. इसलिए कांग्रेस की ये गौ सेवा सवारी उसके लिए असली गौ सेवकों के अलावा आम लोगों से वोट लेने का जरिया साबित हो सकती है.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस गाय की शरण में चली गई है. अभी तक गाय के संरक्षण के मामले में बीजेपी की ही राजनीतिक हिस्सेदारी थी. लेकिन सन 2018 में होने वाले विधान सभा चुनाव के मद्देनजर अब कांग्रेस भी गाय के लालन-पालन में जुट गई है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस मुख्यालय में अब गौ माता की जयजयकार हो रही है. पार्टी की दलील है कि बीजेपी गायों के नाम पर सिर्फ राजनीती कर रही है. बीजेपी समर्थित कई कार्यकर्ता गौ सेवा के नाम पर हिंसा कर रहे हैं.
कांग्रेस का यह भी आरोप है कि बीजेपी के कई कार्यकर्ता गौ संरक्षण के नाम पर लोगों को मौत के घाट उतार रहे हैं. उसके मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में भारत बीफ निर्यात के कारोबार में ब्राजील के बाद विश्व का दूसरा बड़ा देश बन गया है. लिहाजा सही मायनों में गौ संरक्षण की जरुरत है. गौ संरक्षण के लिए कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में नयी कवायद शुरू की है. पार्टी के कार्यकर्ता अब बीमार और घायल गाय को उपचार के लिए अस्पतालों में दाखिल कराएंगे. पार्टी के मुताबिक मवेशियों खासतौर पर गाय के लिए कांग्रेसियों के दिल में दया की भावना है. जबकि बीजेपी इसे लेकर सिर्फ हिंसा पर उतारू है.
अभी तक गौ संरक्षण के मामले में सिर्फ उसका ही एकाधिकार था. राजनीतिक मैदान में दूर-दूर तक इस मुद्दे की अगुवाई उसके अलावा और किसी राजनीतिक दल ने नहीं की थी. लेकिन अब उसे टक्कर देने के लिए कांग्रेस भी सड़कों पर उतर आई है. पार्टी ने गर्मजोशी के साथ काउ एम्बुलेंस को बाकायदा हरी झंडी दिखा कर सड़कों पर उतारा है. उधर कांग्रेस के इस गौ प्रेम से बीजेपी हैरत में है. हालांकि पार्टी की दलील है कि कांग्रेस को भी गायों के साथ आना पड़ा. इससे साफ है कि कांग्रेस सत्ता में आने के लिए बीजेपी का अनुसरण कर रही है. जबकि बीजेपी गाय को लेकर राजनीति नहीं करती है.
छत्तीसगढ़ में विधान सभा चुनाव के लिए साल भर से कम का वक्त बाकी है. लिहाजा बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां किसी भी मुद्दे से बेखबर नहीं रहना चाहतीं. कांग्रेस को लगता है कि गौ संरक्षण के मामले ने भी बीजेपी की झोली वोटों से भर दी है. जबकि गायों के संरक्षण के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं हो रहे हैं. इसलिए पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं को मैदान में उतारा है.