कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में राफेल सौदे को लेकर एक बार फिर केन्द्र सरकार को घेरने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर सवाल दागे. राहुल गांधी ने केन्द्र सरकार से पूछा कि यूपीए कार्यकाल में 126 राफेल विमान खरीदने की डील हो रही थी, लेकिन मोदी सरकार ने महज 36 राफेल विमान खरीदे. लिहाजा, पहले सवाल के तौर पर राहुल गांधी ने कहा कि सरकार बताए कि खरीदे जाने वाले विमानों की संख्या में बदलाव क्यों किया गया.
इसी सवाल को आगे बढ़ाते हुए राहुल ने पूछा कि क्या विमान की संख्या कम करने का फैसला रक्षा मंत्रालय या वायुसेना की तरफ से लिया गया या फिर संख्या को लेकर फैसला मोदी सरकार का स्वतंत्र फैसला था. राहुल गांधी ने केन्द्र सरकार से पूछा कि उसने फ्रांस से डील करने के लिए कारण बताया था कि देश की रक्षा जरूरत के लिए जल्द से जल्द यह विमान खरीदा जाना चाहिए. इस कारण पर राहुल गांधी ने पूछा कि यदि यह लड़ाकू विमान रक्षा जरूरत के लिए इतना जरूरी था तो क्या सरकार बताएगी कि अभी तक कितने राफेल विमान वायुसेना के साथ तैनात कर दिए गए हैं?
राफेल पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी अनुत्तरित रह गए ये सवाल
इन दो सवालों के साथ एक बार फिर राहुल गांधी ने मोदी सरकार से पूछा कि राफेल डील में ऑफसेट पार्टनर पर निर्णय किस आधार पर लिया गया. कारोबारी अनिल अंबनी को ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट में किस आधार पर शामिल किया गया? इस सवाल के साथ राहुल गांधी ने दावा किया कि मोदी सरकार के इस फैसले से देश के खजाने को क्यों 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया गया.
गौरतलब है कि इससे पहले जुलाई 2018 में संसद सत्र के दौरान भी राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि उन्हें फ्रांस के राष्ट्रपति ने बताया कि दोनों देशों के बीच राफेल समझौते में किसी तरह की गोपनीयता का प्रावधान नहीं है. इसी सत्र में संसद में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राफेल डील पर बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया था कि देश की रक्षा मंत्री ने राफेल डील में खर्च पर खुलासा करने का वादा किया लेकिन उस वादे को पूरा करने से मुकर गईं.
राफेल का वंशवाद: तजुर्बा नहीं, परिवार देखकर दसॉल्ट ने किया अंबानी से करार
राहुल गांधी के इन आरोपों के बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने फ्रांस से राफेल डील पर सफाई देते हुए कहा था कि राहुल गांधी और फ्रांस के राष्ट्रपति के बीच हुई बातचीत का कोई ब्योरा उनके पास नहीं है. गौरतलब है कि दिन के लोकसभा सत्र से पहले कांग्रेस पार्टी ने एक ऑडियो टेप जारी करते हुए दावा किया कि यह बातचीत गोवा के मुख्यमंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर की एक अनजान शख्स से बातचीत में सामने आया कि राफेल डील की फाइलें उनके पास मौजूद हैं. इस सवालों के दौरान राहुल गांधी ने सदन में उक्त ऑडियो टेप को चलाने की इजाजत मांगी हालांकि स्पीकर सुमित्रा महाजन ने इस मांग को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि सदन में ऑडियो चलाने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष को लिखित में ऑडियो की प्रामाणिकता की गांरटी लेनी होगी.