देश में कांग्रेस सत्ता के सियासी गलियारे में किनारे आ चुकी है. उसके पास सबसे बड़ा राज्य कर्नाटक ही बचा है. वो वहां सत्ता में दोबारा वापसी की तैयारी में है. इसके लिए उसने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और प्रदेश अध्यक्ष जी परमेशवर पर दांव लगाया है. लेकिन सियासी जंग जीतने के लिए राहुल गांधी ने नई रणनीति के साथ उतरने का दांव चल दिया है.
जून में कार्यकर्ताओं से मिलेंगे राहुल
सूत्रों के मुताबिक, जून महीने में राहुल कर्नाटक राज्य के कार्यकर्ताओं से मिलेंगे. इसके बाद जुलाई महीने में राज्य में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. इस कार्यक्रम में हर ब्लॉक के अध्यक्ष और एक बूथ संयोजक को न्योता दिया जाएगा. सूत्रों की मानें तो करीब 80 हजार कार्यकर्ताओं को राहुल इस तरह संबोधित करेंगे.
संगठन की मजबूती पर ध्यान देंगे राहुल
इसी के साथ कर्नाटक में कांग्रेस अपना प्रचार अभियान शुरू करेगी. बात सीधी है कि राहुल संगठन की मजबूती पर ध्यान देंगे. कार्यकर्ताओं से रिश्ता मजबूत करेंगे, लेकिन राज्य के सियासी चुनाव में मोदी से टकराने की बजाय राज्य के बीजेपी नेतृत्व से राज्य का कांग्रेस नेतृत्व टकराएगा. इसी रणनीति के तहत बूथ मैनेजमेंट में राहुल भूमिका निभाएंगे, लेकिन सियासी गणित मोदी से टकराने की बजाय राज्य बीजेपी यूनिट से टकराने का होगा.
मोदी बनाम राहुल नहीं होगी सियासी लड़ाई
तय है कि कर्नाटक के 80 हजार पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलकर राहुल पार्टी संगठन में अपनी पकड़ मजबूत करेंगे. इस सियासी लड़ाई में राज्य में राहुल केंद्र में नहीं होंगे. कुल मिलाकर अब कांग्रेस चुनाव को राहुल बनाम मोदी करने की बजाय राज्य बीजेपी नेतृत्व बनाम राज्य कांग्रेस नेतृत्व करने को तैयार है.