राज्यसभा चेयरमैन वेंकैया नायडू ने चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. इस पर कांग्रेस पार्टी ने अभी अपने नेताओं को बयान देने से मना किया है. लेकिन, इस बीच कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर उपराष्ट्रपति पर ही निशाना साधा है.
सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि महाभियोग लाने के लिए 50 सांसदों की जरूरत होती है, जो हमने पूरा किया. राज्यसभा चेयरमैन प्रस्ताव की मेरिट तय नहीं कर सकते हैं. अब ये लड़ाई सीधे तौर पर लोकतंत्र को बचाने वाले और लोकतंत्र को खारिज करने वालों के बीच में है.
Constitutional process of impeachment is set in motion with 50 MP’s giving the motion.
RS Chairman can’t adjudge the motion, for he has no mandate to decide the merits of the motion.
This is truly a fight between forces ‘Rejecting Democracy’ & voices ‘Rescuing Democracy’.
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— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) April 23, 2018
उन्होंने ट्वीट में लिखा कि प्रस्ताव आने के कुछ ही समय में वित्त मंत्री ने इसे रिवेंज पेटीशन बताया था. जो कि राज्यसभा चेयरमैन के फैसले को प्रभावित करने वाला बयान था. राज्यसभा चेयरमैन प्रशासनिक शक्ति के अभाव में इस तरह का फैसला नहीं ले सकते हैं.
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Within hours of 64 MP’s submitting the impeachment motion, Leader of Rajya Sabha(FM) had expressed naked prejudice by calling it a ‘revenge petition’ virtually dictating the verdict to Rajya Sabha Chairman on that day.
Has ‘Revenge Petition’ now become ‘Rescue Order’?
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) April 23, 2018
इस दौरान सुरजेवाला ने एम. कृष्णा स्वामी केस का हवाला दिया. सुरजेवाला ने लिखा कि अगर सभी आरोप जांच से पहले ही खारिज हो जाएं तो संविधान और जज इन्क्वाएरी एक्ट का कोई मतलब नहीं रहता है.
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RS Chairman can’t decide on merits in absence of quasi judicial or administrative power (M.Krishna Swami’s case).
If all charges were to be proved before inquiry as RS Chairman suggests, Constitution & Judges (Inquiry) Act will have no relevance.
Don’t muzzle Constitution
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) April 23, 2018
आपको बता दें कि कांग्रेस की अगुवाई में 7 विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा सभापति के सामने ये प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन कानूनी सलाह के बाद वेंकैया नायडू ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है.
वेंकैया नायडू ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि चीफ जस्टिस के खिलाफ लाया गया ये महाभियोग ना ही उचित है और ना ही अपेक्षित है. इस प्रकार का प्रस्ताव लाते हुए हर पहलू को ध्यान में रखना चाहिए. इस खत पर सभी कानूनी सलाह लेने के बाद ही मैं इस प्रस्ताव को खारिज करता हूं.
उपराष्ट्रपति के इस फैसले के बाद सभी कांग्रेस नेताओं को इसपर बयानबाजी करने से रोका गया है. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल इस मुद्दे पर दोपहर 3 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे. कांग्रेस का कहना है कि वो इसके लिए पहले से तैयार थी, उसके लिए कोई झटका नहीं है.
इन पांच आधारों पर लाया गया था महाभियोग
कांग्रेस पार्टी ने महाभियोग प्रस्ताव लाने के पीछे 5 कारण बताए थे. कपिल सिब्बल ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि न्यायपालिका और लोकंतत्र की रक्षा के लिए ये जरूरी था.
1. मुख्य न्यायाधीश के पद के अनुरुप आचरण ना होना, प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट में फायदा उठाने का आरोप. इसमें मुख्य न्यायाधीश का नाम आने के बाद सघन जांच की जरूरत.
2. प्रसाद ऐजुकेशन ट्रस्ट का सामना जब CJI के सामने आया तो उन्होंने CJI ने न्यायिक और प्रशासनिक प्रक्रिया को किनारे किया.
3. बैक डेटिंग का आरोप.
4. जमीन का अधिग्रहण करना, फर्जी एफिडेविट लगाना और सुप्रीम कोर्ट जज बनने के बाद 2013 में जमीन को सरेंडर करना.
5. कई संवेदनशील मामलों को चुनिंदा बेंच को देना.