हर कमरा कुछ कहता है...जी हां, इस वक्त कुछ ऐसा ही कमरा-पुराण दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में चल रहा है. ‘24, अकबर रोड’ स्थित मुख्यालय के एक कमरे पर कांग्रेस के तमाम नेताओं की नजर है. वजह भी आपको बता देते हैं. दरअसल, सोनिया गांधी की जगह राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने तो मां का खाली हुआ कमरा बेटे को मिल गया. ऐसे में राहुल का पुराना कमरा जो बतौर पार्टी उपाध्यक्ष उन्हें मिला हुआ था, वो खाली हो गया. अब इस कमरे के बाहर कोई नेमप्लेट नहीं है. ऐसे में पार्टी का हर बड़ा नेता चाहता है कि ये कमरा उसे मिल जाए.
सुप्रीम नेता के पास ही हमेशा बने रहने के लिए उसके पास की सीट, पास का घर, पास का कमरा कितना अहम होता है, यही बानगी कांग्रेस मुख्यालय में देखी जा सकती है. सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए उनके कमरे के आसपास के दो कमरे पार्टी कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा और संगठन सचिव जनार्दन द्विवेदी को मिले हुए थे. मोतीलाल वोरा का कमरा आज भी कायम है. देश के सभी कांग्रेसजनों को संदेश साफ था कि, सोनिया के राजनैतिक सलाहकार अहमद पटेल के बाद कौन से दो नेता उनके सबसे विश्वासपात्र और करीबी हैं. कांग्रेस मुख्यालय में अहमद पटेल ने अलग से कमरा नहीं लिया था. जब सोनिया गांधी मुख्यालय में आती थीं तो अहमद पटेल कभी उनके या फिर कभी मोतीलाल वोरा के कमरे में बैठ जाते थे.
राहुल गांधी जब कांग्रेस में महासचिव बने थे तो जनार्दन द्विवेदी वाले कमरे पर उनकी नेम प्लेट लग गई. एक बार फिर संदेश साफ दिखा कि पार्टी में कद के हिसाब से सोनिया गांधी के बाद राहुल. यानि जैसा कमरा, वैसा कद. कमरे की ये सियासत और उससे जुड़ा संदेश कांग्रेस मुख्यालय में किसी से छुपा नहीं है.
कांग्रेस मुख्यालय की मुख्य बिल्डिंग में फ्रंट में अम्बिका सोनी, जनार्दन द्विवेदी, दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के कमरे हैं. वहीं बैक साइड में मुकुल वासनिक, बीके हरिप्रसाद के कमरे हैं. ये सारे वो नेता हैं जिन्हें सोनिया गांधी का करीबी माना जाता है. फ्रंट में एक कमरा मधुसूदन मिस्त्री का है, जो राहुल के करीबी माने जाते हैं.
ऐसे में अब जब राहुल की नई टीम का ऐलान होगा तो उसी हिसाब से कमरों का बंटवारा भी होगा. जैसे हाल में राहुल ने अपने करीबी आरपीएन सिंह को झारखण्ड का प्रभारी और कार्यसमिति का मेम्बर बनाया तो उनको मुख्य बिल्डिंग में बीके हरिप्रसाद के साथ कमरा मिल गया.
अब सबकी निगाहें राहुल के बगल वाले कमरे पर टिकीं हैं क्योंकि, एक तरफ तो 90 की उम्र पर कर चुके कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा का कमरा है. इसलिये राहुल के कमरे के दूसरी ओर के कमरे पर तमाम नेताओं का दिल अटका हुआ है कि, वहां जिसकी तख्ती लगेगी उसके राहुल का करीबी होने का ज़ोरदार संदेश जाएगा.
पार्टी नेताओं की हसरत जो भी है लेकिन राहुल ने इस बेवजह के संदेश से बचने का तोड़ निकाला है. अब ये खाली कमरा किसी नेता को देने की जगह राहुल के स्टाफ के लिए रिजर्व कर दिया गया है.
दरअसल, वोरा जी 90 साल के पार हैं, इसलिए उनको टीम राहुल के नेता अपने कम्पटीशन में नहीं मानते और उम्र के लिहाज से सभी उनका सम्मान करते हैं.
राहुल ये नहीं चाहते कि, कोई ऐसा सन्देश जाए कि, कोई उनका करीबी है या उनकी कोई चौकड़ी है. ऐसे में उन्होंने साथ का खाली कमरा स्टाफ को देना ही बेहतर समझा. अब ये बात अलग है कि इससे कई नेताओं के दिल ज़रूर टूट गए होंगे.