आखिरकार केंद्र की यूपीए सरकार ने दागी सांसदों व विधायकों का बचाव करने वाले विवादास्पद अध्यादेश को वापस लेने का फैसला कर लिया है. केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला आनन-फानन में किया गया.
कैबिनेट की बैठक में महज 15 मिनट के भीतर ही यह निर्णय किया गया कि अध्यादेश को राष्ट्रपति से वापस लिया जाएगा. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सबसे पहले अध्यादेश का कड़े शब्दों में विरोध किया था. बाद में उन्हें इस मसले पर सोनिया गांधी का भी साथ मिल गया.
कैबिनेट की बैठक खत्म होने के बाद केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा, 'आज शाम हुई बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला किया गया कि पीआरए एक्ट को लेकर लाया गया अध्यादेश और इसमें संशोधन संबंधी विधेयक, दोनों वापस लिया जाएगा.'
प्रधानमंत्री ने बुधवार दोपहर को ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की थी. अभी अध्यादेश राष्ट्रपति के पास ही है. जानकारी के मुताबिक, अध्यादेश से राष्ट्रपति नाखुश हैं. इसी वजह से सरकार को अध्यादेश वापसी का रास्ता चुनना ज्यादा बेहतर लगा.
इससे पहले, सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह से कहा था कि अध्यादेश जनभावना के खिलाफ है और जनभावना का सम्मान किया जाना चाहिए. कांग्रेस कोर ग्रुप ने प्रधानमंत्री से कहा था कि वे सहयोगी दलों को विश्वास में लेकर अध्यादेश वापसी की तैयारी करें.
इस अध्यादेश पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पहले ही काफी किरकिरी हो चुकी है. सरकार के मुखिया और कांग्रेस पार्टी के बीच मतभेद खुलकर सामने आ चुके हैं. हालांकि पार्टी इस अहम मसले पर लीपापोती करने की पुरजोर कोशिश कर ही है.
PM से बोले राहुल, आपका दिल नहीं दुखाना चाहा था
इससे पहले सुबह 9:30 बजे प्रधानमंत्री से मिलकर राहुल गांधी ने अध्यादेश पर अपनी बात कही. दोनों के बीच 25 मिनट तक बात हुई. राहुल ने अध्यादेश पर अपनी नाराजगी से पीएम को अवगत कराया.
सूत्रों के मुताबिक, राहुल ने प्रधानमंत्री से कहा कि उन्होंने सिर्फ जनभावना का ख्याल रखते हुए अध्यादेश का विरोध किया और उनका मकसद पीएम का दिल दुखाना नहीं था. मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ने राहुल को भरोसा दिया कि वह उनकी चिंताओं को कैबिनेट के सामने रखेंगे.