कर्नाटक की जीत के जश्न का खुमार अभी उतरा भी नहीं है कि कांग्रेस की उलझनें शुरू हो गई हैं. सीएम की एक कुर्सी के कई-कई दावेदार हैं. मशक्कत के बाद कांग्रेस ने कर्नाटक का मसला सुलझा भी लिया तो केंद्र की मुसीबत का निबटारा भी करना होगा. खबरें है कि कर्नाटक में सीएम चुने जाने के बाद ही घूसकांड में फंसे रेल मंत्री और कोयलाकांड में फंसे कानून मंत्री पर गाज गिर सकती है.
कर्नाटक की जनता के दरबार में जीत का जश्न मनाए कांग्रेस या असली और देश की सर्वोच्च अदालत से मिली फटकार पर आंसू बहाए.
इसे विडंबना कहिए या कांग्रेस की किस्मत का फेर, जिस दिन कर्नाटक चुनाव में शानदार जीत का तोहफा कांग्रेस के नसीब हुआ, उसी दिन कानून मंत्री की करतूत पर सुप्रीम कोर्ट से सरकार को जबरदस्त फटकार लगी, 1 लाख 86 हजार करोड़ के कोयला घोटाले की कालिख के बाद सीबीआई के हलफनामे ने मनमोहन सरकार का मुंह काला कर दिया.
अब देखिए कांग्रेस की किस्मत का नया फेर जैसे ही कांग्रेस कर्नाटक को नया मुख्यमंत्री देने में कामयाब होगी, उसी के बाद महनमोहन सरकार के दो मंत्रियों की छुट्टी की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी.
सूत्रों की मानें तो घूसकांड में फंसे रेलमंत्री पवन बंसल का तो जाना तय है. कोयला घोटाले की सीबीआई रिपोर्ट बदलवाने के इल्जाम में फंसे कानून मंत्री अश्विनी कुमार की भी छुट्टी हो सकती है या उनका मंत्रालय बदला जा सकता है.
ये तो हुई केंद्र के कांग्रेस सरकार की मुसीबत. लेकिन कर्नाटक में भी कांग्रेस की मुसीबत कम नहीं है. जनता ने पूर्ण बहुमत तो दे दिया लेकिन इसी के साथ मुख्यमंत्री पद की होड़ भी कांग्रेस में शुरू हो गई है.
सीएम की रेस में एक दो नहीं पूरे पांच नाम सामने आ रहे हैं. इनमें सबसे आगे है मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम. 71 साल के खडगे दलित नेता हैं और केंद्र में श्रम मंत्री हैं. अनुसूचित जाति का होने की वजह से खड़गे को कर्नाटक की कुर्सी संभालने का मौका मिल सकता है.
कर्नाटक की कुर्सी के दूसरे दावेदार हैं वीरप्पा मोइली. 73 साल के ओबीसी नेता केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हैं और 1992 से 94 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. लेकिन मोइली के साथ दिक्कत ये है कि ये पिछले कई सालों से राज्य की राजनीति से बाहर हैं.
तीसरे दावेदार हैं के एच मुनियप्पा. उम्र 65 साल है और कोलार से लगातार 6 बार सांसद रहे हैं.
चौथे दावेदार हैं मैसूर के ताकतवर ओबीसी नेता सिद्धारमैया. 55 साल के सिद्धारमैया 2006 से पहले जेडीएस के साथ थे. 2006 में इन्होंने कांग्रेस का दामन थामा और फिर पिछे मुड़कर नहीं देखा. लेकिन दिक्कत ये है कि अब तक सिद्धारमैया को बाहरी ही माना जाता है.
पांचवा दावेदार जी परमेश्वर को माना जा रहा है. 62 साल के दलित नेता कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं. लेकिन इनकी सबसे बड़ी मुश्किल है कि कांग्रेस की शानदार जीत के बीच भी इन्हें अपनी सीट गवानी पड़ी.
मुख्यमंत्री के पांच दावेदारों में खास बात ये है, कि ये सभी ओबीसी या दलित तबके से ताल्लुक रखते हैं. सूत्रों की माने तो कर्नाटक की कुर्सी इन्हीं पांच में से किसी एक को मिलने वाली है.