बीजेपी ने अपने तीन वरिष्ठ नेताओं लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और अटल बिहारी वाजपेयी को पार्टी के संसदीय बोर्ड में शामिल नहीं किया है. उन्हें मार्गदर्शक मंडल में जगह दी गई है.
बीजेपी के इस फैसले पर चुटकी लेते हुए कांग्रेस ने कहा कि इन नेताओं को वृद्धाश्रम (ओल्ड एज होम) में डाल दिया गया है और उनका मार्गदर्शक मंडल सिर्फ मूकदर्शक मंडल रहेगा.
कांग्रेस ने कहा कि यह घटनाक्रम एक शख्स के हाथ में पूरी सत्ता सौंपने की प्रक्रिया की निशानी है. पार्टी का इशारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ था.
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा, 'यह मूकदर्शक मंडल है. यह वृद्धाश्रम जैसा है जहां आडवाणी और जोशी मूक अभिनेता की तरह बीजेपी के कामकाज को देखेंगे. हम सबको मालूम है कि उन्हें किनारे लगाया जा रहा है.'
पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि यह घटनाक्रम एक हाथ में सत्ता के केंद्रीकरण की प्रक्रिया की निशानी है.
एनसीपी नेता डीपी त्रिपाठी ने इसे भाजपा का अंदरूनी मामला करार दिया और कहा कि बीजेपी के दिग्गजों के स्थान पर जो नए चेहरे सामने आए हैं वे भी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हैं.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता सीपी ठाकुर ने कहा कि यह बदलाव की प्रक्रिया हो सकती है. उन्होंने कहा कि यह पार्टी का फैसला है जिस पर वह टिप्पणी नहीं करेंगे.
बीजेपी में निर्णय करने वाले शीर्ष निकाय संसदीय बोर्ड में पार्टी के संस्थापक रहे अटल बिहरी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को स्थान नहीं दिया गया. वाजपेयी, आडवाणी और जोशी को पांच सदस्यीय नवगठित मार्गदर्शक मंडल में स्थान दिया गया है.