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गुरुमूर्ति के बयान पर कांग्रेस भड़की, कहा- सरकार गुरुमूर्ति चला रहे या प्रधानमंत्री

गुलाम नबी आजाद बोले कि जब पहले नोट बंदी का फैसला किया गया था उस वक्त भी प्रधानमंत्री ने इसकी घोषणा की थी जबकि इसकी घोषणा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा या वित्त मंत्री के द्वारा की जानी चाहिए थी.

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गुलाम नबी आजाद ने दागे सवाल
गुलाम नबी आजाद ने दागे सवाल

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2000 के नोट बंद होने के गुरुमूर्ति के बयान पर कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा है कि गुरुमूर्ति ने जो बयान दिया है उससे यह सवाल उठता है कि आखिर सरकार कौन चला रहा है. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद का कहना है की गुरुमूर्ति ने जो 2000 के नोट बंद होने की बात कही है, इसलिए सवाल उठता है कि क्या गुरुमूर्ति सरकार चला रहे हैं. सरकार गुरुमूर्ति चला रहे हैं या प्रधानमंत्री चला रहे हैं या वित्तमंत्री चला रहे हैं या रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया चला रही है.

गुलाम नबी आजाद बोले कि जब पहले नोट बंदी का फैसला किया गया था उस वक्त भी प्रधानमंत्री ने इसकी घोषणा की थी जबकि इसकी घोषणा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा या वित्त मंत्री के द्वारा की जानी चाहिए थी.

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नायडू का पलटवार
उधर सरकार की तरफ से सूचना और प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू का कहना है कि गुरुमूर्ति ने सिर्फ सुझाव दिया है किसी को भी सुझाव देने का अधिकार है, गुरुमूर्ति एक राष्ट्रवादी है. गुलाम नबी आजाद के बयान पर वेंकैया नायडू का कहना है कि उनके समय में सरकार सोनिया गांधी चलाती थी इसलिए वह ऐसी बातें कर रहे कर रहे हैं. इस वक्त हमारी सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही फैसला लेते हैं अगर कांग्रेस को कोई सुझाव देना है तो वह संसद में आकर दें.

वैंकया नायडू का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो फैसला किया है जनता उनके साथ है इससे कालाधन भ्रष्टाचार खत्म होगा. इस समय हमारी प्राथमिकता नई करेंसी ज्यादा से ज्यादा उपलब्ध कराना है ताकि लोगों को जो परेशानी आ रही है वह खत्म हो जाए. उसके बाद हम लोग कैशलेस करके डिजिटल की तरफ बढ़ रहे हैं. वैंकया नायडू का कहना है कि जो भी पैसा आ रहा है वह गरीबों के जनकल्याण के लिए इस्तेमाल होगा.

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