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सोशल मीडिया पर नज़र रखने को सरकार खर्च कर रही 42 करोड़: कांग्रेस

कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि सरकार की ओर से लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर नज़र रखने के लिए 42 करोड़ रुपए का एक सॉफ्टवेयर लेने की तैयारी की जा रही है.

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कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी (FILE PHOTO)
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी (FILE PHOTO)

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सोशल मीडिया, ई-मेल समेत तमाम इंटरनेट फोरम पर केंद्र द्वारा नजर रखने से जुड़ी खबर को लेकर कांग्रेस ने सरकार को घेरा है. कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने ऐसा करने के लिए 42 करोड़ रुपए का टेंडर निकाला है, जिसके जरिए वह लोगों के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नज़र रखेगी.

कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि सरकार की ओर से लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर नज़र रखने के लिए 42 करोड़ रुपए का एक सॉफ्टवेयर लेने की तैयारी की जा रही है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह काफी चिंताजनक है कि सरकार लोगों पर नज़र रख रही है. क्या इस तरह का टेंडर निकालने से पहले सरकार या फिर समाज के लोगों से बातचीत की गई थी.

आपको बता दें कि हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मीडिया ब्लूमबर्ग की खबर ने खुलासा किया था कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने ऑनलाइन टेंडर जारी कर ऐसी कंपनी से आवेदन मांगा है. कंपनी ऐसी जो सोशल मीडिया की निगरानी के लिए एक सॉफ्टवेयर समेत कम से कम 20 लोगों की विशेष टीम के साथ सरकार को एक रियल टाइम न्यू मीडिया कमांड रूम की सुविधा दे सके.

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विज्ञापन भी निकाला

इसको लेकर दिए गए मंत्रालय के विज्ञापन के मुताबिक उक्त कंपनी को ट्विटर, यू-ट्यूब, लिंक्डइन समेत तमाम इंटरनेट फोरम और ईमेल की मॉनिटरिंग करते हुए इन प्लेटफॉर्म्स पर संवेदनशील पोस्ट्स की पहचान करनी है.

पूरी खबर यहां पढ़ें....सोशल मीडिया की पोस्ट और ईमेल तक पर नजर रखेगी मोदी सरकार, बना रही है टीम

इसके साथ ही कंपनी को फेक न्यूज की पहचान करते हुए केन्द्र सरकार के नाम से पोस्ट्स और मैसेज का संचार करना है. केन्द्र सरकार का दावा है कि वह संवेदनशील और फेक कंटेन्ट को रोकने के साथ-साथ ऐसे पोस्ट का संचार करवाएगी, जिससे देश की अच्छी छवि बनाने में मदद मिले.

आपको बता दें कि पिछले 4 साल के दौरान मोदी सरकार के कार्यकाल में पीएमओ समेत सरकार के सभी मंत्रालय और कैबिनेट मंत्री सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं. सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए ज्यादातर मंत्री अपनी नई नीतियों का प्रचार करने और नागरिकों से सीधा संवाद स्थापित करने की कोशिश करते हैं. अब केंद्र सरकार एक कदम आगे जाना चाहती है.

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