कांग्रेस ने बजट सत्र में मोदी सरकार को घेरने की तैयार कर ली है. पार्टी ने तय किया है कि वह बजट सत्र में एनडीए सरकार के खिलाफ आक्रामक रहेगी.
सोनिया गांधी के 10 जनपथ स्थित आवास पर शनिवार को कांग्रेस की बैठक हुई जिसमें खुद कांग्रेस अध्यक्ष के अलावा मनमोहन सिंह, अहमद पटेल, अमरिंदर सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे, आनंद शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, गुलाम नबी आजाद जैसे वरिष्ठ नेता मौजूद थे. पार्टी इस रणनीति पर विचार कर रही है कि अगर सरकार ने लोकसभा में नेता विपक्ष का पद और आगे की दो सीट उसे नहीं दी, तो कांग्रेस राज्यसभा में मोदी सरकार के लाए अध्यादेश और कानून में संशोधनों को पास नहीं होने देगी.
आपको बता दें कि राज्यसभा में बीजेपी अल्पमत में है. ऐसे में कांग्रेस बजट सत्र के दौरान इसका फायदा उठाने की सोच रही है. बजट सत्र में मोदी सरकार के सामने कई चुनौतियां है. खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें, तेल के दाम और रेल किराए को लेकर विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश करेगा.
संसद में कामकाज सुचारु रूप से चल सके, इसके लिए लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सर्वदलीय बैठक भी बुलाई. सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस समेत कई दलों के नेता मौजूद थे. सर्वदलीय बैठक में लोकसभा नेता विपक्ष का मुद्दा तो नहीं उठा लेकिन लाख कोशिश के बावजूद नेता विपक्ष पद नहीं दिए जाने से कांग्रेस झल्लाई हुई है. वैसे कांग्रेस इसे लेकर खुलकर नहीं बोल रही क्योंकि उसे दूसरी पार्टियों का साथ नहीं मिल रहा. 8 जुलाई को रेल बजट और 10 जुलाई को आम बजट पेश होना है.
कांग्रेस विपक्ष के नेता पद का दर्जा के लिए सभी औपचारिकताओं के लिए तैयार: आजाद
कांग्रेस ने कहा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा प्राप्त करने के लिए वह सभी औपचारिकताओं को पूरा करेगी. बैठक में वरिष्ठ नेताओं के साथ किये गये विचार विमर्श के बाद पार्टी नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘हम सभी औपचारिकतायें पूरी करने को तैयार हैं.’ आजाद राज्य सभा में विपक्ष के नेता हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद लोकपाल सहित अनेक उच्च पदों के चयन के लिये आवश्यक है.
उन्होंने कहा, ‘हम पार्टी के प्रतिनिधि के लिए महज एक पद की मांग नहीं कर रहे हैं बल्कि अनेक उच्च पदों के लिए चयन की प्रक्रिया में यह एक संवैधानिक आवश्यकता है. इसके अलावा इससे संबंधित 1977 का कानून यह नहीं बताता है कि इस पद को हासिल करने के लिए किसी पार्टी के लिए उसके सदस्यों की संख्या कितनी होनी चाहिए.
आजाद की यह टिप्पणी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ऐसे समय आयी है जब पार्टी के एक वर्ग की राय है कि अगर मांग ठुकरा दी जाती है तो पार्टी को अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए.