नरेंद्र मोदी ये भूल गए थे कि वे बीजेपी के समर्थकों के बीच नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के कार्यक्रम में बोल रहे हैं. सरदार पटेल के बहाने अपना सियासी एजेंडा तय करने के चक्कर में पहले मोदी ने मीठी-मीठी बातें की और जाते-जाते गांधी परिवार पर तंज कसते हुए कह दिया कि काश! जवाहर लाल नेहरू की जगह सरदार पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री होते तो बात कुछ और होती.
इस दौरान नरेंद्र मोदी ने पटेल से जुड़ा एक किस्सा भी सुनाया कि सरदार पटेल ने 1919 में महिलाओं के लिये आरक्षण लाने की बात कहकर अपनी दूरदर्शिता का परिचय दिया था.
फिर मंच पर आए केंद्र सरकार के मंत्री और कांग्रेस सांसद दिनशा पटेल. उन्होंने मोदी के इतिहास ज्ञान पर सवाल उठाते हुए कहा, 'मोदी जी ने कहा कि सरदार पटेल ने 1919 में महिला आरक्षण की बात कही थी. मैं उन्हें सुधारना चाहता हूं. वो 1926 था.'
फिर क्या था, समारोह में मौजूद कांग्रेस के समर्थक मोदी को फेंकू...फेंकू... कहके बुलाने लगे. इस दौरान सोनिया गांधी और कांग्रेस जिंदाबाद के नारे भी लगे.
इसके दौरान प्रधानमंत्री को अपना भाषण देना था. वे थोड़ी देर के रुके. फिर इस नारेबाजी को नजरअंदाज करते हुए अपना भाषण शुरू कर दिया. मोदी पर मनमोहन सिंह ने भी असरदार वार किया. उन्होंने इस मौके पर साफ कर दिया कि सरदार पटेल कांग्रेसी थे. पटेल का नजरिया पूरी तरह से सेकुलर था.
इशारा साफ था कि स्वयंसेवक नरेंद्र मोदी कांग्रेसी सरदार पटेल की विरासत हथियाने की कोशिश न करें.
मंगलवार को यह दूसरा मौका था जब नरेंद्र मोदी के इतिहास ज्ञान पर गंभीर सवाल उठे. इससे पहले राजगीर में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मोदी पर हुंकार रैली के दौरान बिहार का इतिहास बदलने का आरोप लगाते हुए कहा, 'पाकिस्तान के तक्षशिला विश्वविद्यालय को बिहार का बता डाला. सिकंदर को गंगा नदी तक पहुंचा दिया जबकि वह सतलज नदी तक भी पहुंच नहीं सका था. चंद्रगुप्त मौर्य को गुप्त वंश का बता दिया.'