मोदी सरकार ने लोकसभा में तीन तलाक के खिलाफ बिल को पेश कर दिया है. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को बिल पेश किया, तो RJD,BJD समेत कई विपक्षी पार्टियों ने बिल में सजा के प्रावधान का विरोध किया. लेकिन सदन में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार के साथ है. कांग्रेस तीन तलाक बिल का विरोध नहीं करेगी, ना ही कोई संशोधन लाएगी. कांग्रेस की ओर से सिर्फ तीन सुझाव दिए जाएंगे
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पार्टी तीन तलाक बिल का समर्थन करेगी, हालांकि कुछ सुझाव सरकार के सामने जरूर रखे जाएंगे. कांग्रेस की ओर से ये दो बड़े सुझाव दे सकती हैं.
1. तलाक के बाद मुस्लिम महिला को कितना भत्ता मिलेगा, पत्नी को पति की आय का कितना हिस्सा मिलेगा. इसका फॉर्मूला क्या होगा.
2. अगर पति तीन साल के लिए जेल जाएगा, तो पत्नी को भत्ता किस प्रकार मिलेगा.
सूत्रों की मानें, तो पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में बुधवार देर रात कांग्रेसियों इस मुद्दे पर बैठक की. सूत्रों के मुताबिक बैठक में तीन तलाक बिल के पक्ष में कांग्रेस दिखी थी. ऐसे में मुमकिन है कि इस बिल को पास करवाने में केंद्र सरकार को कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए.
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस ने तीन तलाक या तलाक-ए-बिद्दत के मुद्दे को हमेशा इस मापदंड पर आंका है कि महिला अधिकारों की सुरक्षा हो और महिलाओं की बराबरी संविधान सर्वमत्ति तरीके से हो. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने तीन तलाक के बारे में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस तीन तलाक को प्रतिबंधित करने वाले कानून का समर्थन करती है. हमारा यह मानना है कि महिलाओं के संगठन और मुस्लिम संगठनों की राय के अनुसार इस कानून को और पुख्ता बनाने की आवश्यकता है.
महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक में मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता देने की बात कही गई है. किंतु गुजारे के निर्धारण का तौर तरीका नहीं बताया गया है, सरकार को इस बारे में व्याख्या करनी चाहिए. सुष्मिता ने कहा कि 1986 के मुस्लिम महिला संबंधी एक कानून के तहत तलाक पाने वाली महिलाओं को गुजारा भत्ता मिल रहा है. कहीं नए कानून के कारण उन्हें यह गुजारा भत्ता मिलना बंद न हो जाए.
ओवैसी समेत कुछ विपक्षी पार्टियों ने किया विरोध
लोकसभा में जब बिल पेश हुआ तो राजद, बीजेदी समेत कुछ विपक्षी पार्टियों ने सजा के प्रावधान का विरोध किया. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस बिल का विरोध किया. उन्होंने कहा कि ये बिल संविधान के मुताबिक नहीं है. ओवैसी ने कहा कि तलाक ए बिद्दत गैरकानूनी है, घरेलू हिंसा को लेकर भी कानून पहले से मौजूद है फिर इसी तरह के एक और कानून की जरूरत क्या है?
कैसा होगा बिल?
गौरतलब है कि सरकार ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’ नाम से इस विधेयक को ला रही है. ये कानून सिर्फ तीन तलाक (INSTANT TALAQ, यानि तलाक-ए-बिद्दत) पर ही लागू होगा. इस कानून के बाद कोई भी मुस्लिम पति अगर पत्नी को तीन तलाक देगा तो वो गैर-कानूनी होगा.
इसके बाद से किसी भी स्वरूप में दिया गया तीन तलाक वह चाहें मौखिक हो, लिखित और या मैसेज में, वह अवैध होगा. जो भी तीन तलाक देगा, उसको तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है. यानि तीन तलाक देना गैर-जमानती और संज्ञेय ( Cognizable) अपराध होगा. इसमें मजिस्ट्रेट तय करेगा कि कितना जुर्माना होगा.
पीएम नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक पर कानून बनाने के लिए एक मंत्री समूह बनाया था, जिसमें राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद, पीपी चौधरी और जितेंद्र सिंह शामिल थे.